अल्पायुसे ही साधना करना क्यों आवश्यक है ? (भाग – ७)


वृद्धावस्थामें साधनाकर सन्त पदपर आसीन हुए सन्त नाम मात्र हैं !
अधिकांश साधक जो साधनाकर सन्त पदपर आसीन हुए, वे अल्प आयुसे ही साधनारत हुए थे । वृद्धावस्थामें जब मनमें अनेक विचार होते हैं, बुद्धि भी काम करना बंद कर देती है और शरीर रोगोंसे ग्रसित हो जाता है, तब साधनाकर ईश्वरप्राप्ति करना अत्यधिक कठिन होता है । वैसे भी, ईश्वरको हम ताजे पुष्प चढाते हैं, वृद्ध शरीर ईश्वरप्राप्तिमें व्यवधान (अडचन) ही उत्पन्न करता है ! – तनुजा ठाकुर


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