अध्यात्म

वास्तुशास्त्रके अनुसार कौनसे वृक्ष या पौधे लगाए जा सकते हैं ? (भाग – ४)


घरके पूर्व, उत्तर और पूर्वोत्तरमें गेंदा, गुडहल, पाटल(गुलाब), चम्पा, स्वर्णचम्पा, नागचम्पा, चमेली, जाई, जूही, बेला, रात-रानी, अपराजिता, हरसिंगारके पौधे लगाना अच्छा…..

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वास्तुशास्त्रके अनुसार कौनसे वृक्ष या पौधे लगाए जा सकते हैं ? (भाग – ३)


तुलसी वास्तुको शुद्ध और पवित्र करती है । तुलसीका पौधा कल्याणकारी, बहु उपयोगी, पवित्र एवं शुभ माना जाता है । घरमें आनेवाली वायुमें सकारात्मक ऊर्जा बढाने हेतु तुलसीके…..

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वास्तुशास्त्रके अनुसार कौनसे वृक्ष या पौधे लगाए जा सकते हैं ? (भाग – २)


वास्तुशास्त्रके अनुसार जिस प्रकार घरका हर भाग हमारे जीवनको प्रभावित करता है, उसी प्रकार घरमें सजावटके लिए रखे गए पौधे या जीवनोपयोगी पौधे अथवा वृक्ष भी हमारे जीवनपर….

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वास्तुशास्त्रके अनुसार कौनसे वृक्ष या पौधे लगाए जा सकते हैं ? (भाग – १)


वास्तुशास्त्रके अनुसार जिस प्रकार घरका हर भाग हमारे जीवनको प्रभावित करता है, उसी प्रकार घरमें सजावटके लिए रखे गए पौधे या जीवनोपयोगी पौधे अथवा वृक्ष भी हमारे…..

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सगोत्र विवाह किसी भी परिस्थितिमें है हानिकारक !


एक तथाकथित सद्गुरु अपने शंका समाधान सत्रमें सगोत्र विवाह क्यों नहीं करने चाहिए इस सम्बन्धमें एक जिज्ञासुद्वारा पूछे गए प्रश्नके उत्तरमें कह रहे थे कि यदि आप…..

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सन्तोंद्वारा बताए तथ्य सूक्ष्मज्ञानपर आधारित !


कालानुसार हम विज्ञानके संशोधनको मान्य करते हैं, वैज्ञानिकोंसे जाकर उनके नूतन संशोधन हेतु अनर्गल बातें नहीं करते हैं और न ही उनसे शास्त्रार्थ करते हैं ! किन्तु मैंने देखा है कि जब ऐसी ही कुछ नूतन बातें अध्यात्ममें कालानुसार संतोंद्वारा बताई जाती हैं तो अनेक बुद्धिजीवी या आध्यात्मिक प्रवृत्तिके लोगोंके गलेके नीचे नहीं उतरती हैं […]

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प्रारब्धानुसार ही वस्तुएं पूर्वनिर्धारित होती हैं !


एक व्यक्तिने कहा कि यदि हम श्रम नहीं करेंगे तो क्या हमारे भाग्यसे धन आ जायेगा ? उत्तर बडा सरल है भाग्यमें धन हो तो श्रमकी दिशा और दशा भी योग्य होती है अन्यथा सभी श्रम करनेवाले धनवान होते !

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देवताकी ऊंची प्रतिमा शास्त्र विरुद्ध !!


आजकल अनके लोग बहुत ही अधिक ऊंचाईकी देवी या देवताकी प्रतिमा बनाते हैं और इसमें वे अपना बडप्पन भी समझते हैं ! जैसे अभी अयोध्यामें श्रीराम भगवानकी अत्यधिक ऊंची प्रतिमा स्थापित करनेकी योगी शासनकी योजना चल रही……

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सत्त्व, रज एवं तम किसे कहते हैं ? (भाग – २)


सत्त्व गुण, रजोगुण व तमोगुण ये आत्माकी प्रकृतिके तीन गुण हैं । यह विशाल स्थावर व जंगम रुपी संसार इन तीन गुणोंसे व्याप्त होकर ही स्थित है……

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सत्त्व, रज एवं तम किसे कहते हैं ? (भाग – १)


सृष्टिकी रचना जिन मूल त्रिगुणोंसे हुई है, वे सत्त्व, रज एवं तम हैं । आधुनिक विज्ञान इस तथ्यसेे अनभिज्ञ है । ये तीनों घटक सजीव-निर्जीव, स्थूल-सूक्ष्म वस्तुओंमें विद्यमान होते हैं……

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