अध्यात्म

ईश्वरप्राप्ति हेतु सबसे आवश्यक गुण क्या है ?


चाहे कोई जिज्ञासु किसी भी मार्गसे साधना करना चाहे या कोई साधक किसी भी योगमार्गसे साधनारत हो, दोनोंके लिए ईश्वरप्राप्ति हेतु कुछ गुणोंका होना आवश्यक होता है एवं सभी गुणोंमें  सबसे आवश्यक गुण है, तीव्र मुमुक्षुत्वका होना…..

आगे पढें

मनुस्मृति अनुसार, तत्त्व गुण, रजो गुण एवं तमो गुण क्या है ?


 सत्वं रजस्तमश्चैव त्रीन्विद्यादात्मनो गुणाम् |  यैवर्याप्येमान्स्थितो भावान्महान्सर्वानशेषत: | अर्थ : सत्त्वगुण, रजोगुण व तमोगुण, आत्माकी प्रकृतिके तीन गुण है | यह विशाल स्थावर व जंगम रुपी संसार इन तीन गुणोंसे व्याप्त होकर ही स्थित है | यो यदैषां गुणो देहे साकल्येनातिरिच्यते | तं तदा तद्गुणप्रायं तं करोति शरीरिणम् || अर्थ : सत्त्व,रज व तम-इन तीन […]

आगे पढें

पञ्च महायज्ञ कैसे करें ?


स्वाध्याय तथा पूजासे  ऋषियोंका सत्कार, शास्त्र अनुसार यज्ञ कर देवताओंकी पूजा, श्राद्धसे पितरोंकी पूजा, अन्न देकर अतिथियोंकी  और बलिकर्मसे सम्पूर्ण भूतोंकी पूजा (संतुष्टि) करनी चाहिए….

आगे पढें

नामकी महिमा


नाम जीहं जपि जागहिं जोगी। बिरति बिरंचि प्रपंच बियोगी ॥
ब्रह्मसुखहि अनुभवहिं अनूपा। अकथ अनामय नाम न रूपा ॥1॥ – रामचरितमानस
इस चौपाईमें संत तुलसीदासने भगवान् श्रीरामके नामकी महिमा बताई है  …..

आगे पढें

निश्चयात्मक बुद्धि एवं साधनामें उसका महत्त्व


साधनामें निश्चयात्मक बुद्धि एवं लगनका महत्त्व  : सांसारिक जीवन हो या आध्यात्मिक जीवन यदि हमें अपने ध्येयको प्राप्त करना हो तो निश्चयात्मक एवं लगन इन दोनों गुणोंका होना परम आवश्यक है । एक बार यदि लक्ष्यका निर्धारण हो गया हो और उचित मार्गदर्शन भी मिल रहा हो तो उस ओर बढने हेतु योग्य कृतिका होना […]

आगे पढें

प्रार्थना


भक्तियोग अनुसार साधना करनेवाले सभी साधकके लिए प्रार्थनाका विशेष महत्त्व होता है । प्रार्थना ईश्वरके साथ जुडनेका एक सरल और सहज साधन है । जब हम प्रकर्षताके साथ ईश्वरसे कुछ विनती करते हैं उसे प्रार्थना कहते हैं । प्रार्थनाको यदि सरल शब्दोंमें उल्लेख करें तो यह ईश्वरसे संवाद करनेका एक सूक्ष्म माध्यम है । प्रार्थनाके […]

आगे पढें

पञ्च महायज्ञ कैसे करें ?


स्वाध्याये नार्चयेतर्षीन्हो मैर्देवान्यथाविधि । पितृ श्राद्धैश्च नृनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा ।। – मनुस्मृति

अर्थ : स्वाध्याय तथा पूजासे  ऋषियोंका सत्कार, शास्त्र अनुसार यज्ञ कर देवताओंकी पूजा, श्राद्धोंसे पितरोंकी पूजा, अन्न देकर अतिथियोंकी  और बलिकर्मसे सम्पूर्ण भूतोंकी पूजा (संतुष्टि) करनी चाहिए…………

आगे पढें

नामजप बढानेके कुछ सरल उपाय


साधनाके लिए समय नहीं मिलता यह अडचन अधिकांश लोग बताया करते हैं और आज हम इसी विषयमें जानेंगे | नगरों एवं महानगरोंमें सवेरेसे ही कार्यालय जानेकी भागा-दौडी आरम्भ हो जाती है, ऐसेमें कार्यालयके लिए जाते समय, जब आप वाहनद्वारा प्रवास कर रहे हों, तब नामजप करनेका प्रयास करें | कलियुगकी योग्य साधना नामसंकीर्तनयोग है | […]

आगे पढें

भक्तियोग कलियुगकी योग्य साधना


अ.  तमोगुणी वृत्तिके लिय भक्तियोग सरल मार्ग है । अधिकांश कलियुगी जीव मूलतः तमोगुणी होते हैं, ऐसेमें ज्ञानयोग, कर्मयोग, ध्यानयोग, क्रियायोग इत्यादि की साधना करना उनके लिए कठिन होता है । भक्तियोग कलियुगी जीवके लिए सरल योगमार्ग है; क्योंकि साधक तमोगुणी होते हुए भी इस मार्गका अनुसरण कर साधना कर  सकता है । इसके विपरीत […]

आगे पढें

कलियुगकी सर्वोत्तम साधना


नाम संकीर्तन योग कलिकालमें साधारण व्यक्तिकी सात्त्विकता निम्न स्तरपर पहुंच गयी है | ऐसेमें वेद उपनिषद्के गूढ़ भावार्थको समझना क्लिष्ट हो गया है | अतः ज्ञानयोगकी साधना कठिन है | वर्तमान समयमें लोगोंके पास पूजा करनेके लिए दस मिनट भी समय नहीं होता तो अनेक वर्षों तक विधिपूर्वक ध्यान योगकी साधना कहां संभव है ? […]

आगे पढें

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution