वो कहते हैं न ‘प्रत्यक्षं किम प्रमाणं’ ! भविष्यमें उपासनाके आश्रममें बहुतसे वैदिक अनुष्ठान होंगे; इसलिए गोलोकसे गोमाताका आगमन होने लगा है, वैसे ही जैसे हिन्दू राष्ट्रको चलाने हेतु उच्च लोकोंसे उच्च कोटिके साधक जीवोंका जन्म होने लगा है …..
अयोग्य एवं तमोगुणी गृह सज्जाके कारण हुई कष्टप्रद अनुभूति पिछले वर्ष ही जब तनुजा मां हमारे घर आईं थीं तो उन्होंने कहा था कि घरके कक्षमें भीतें (दीवारें), चादरें, अलमारियां काले रंगकी नहीं होनी चाहिए । मेरे युवा भाईने हमारे मना करनेपर भी अपने कक्षमें काले और श्वेत रंगसे सभी साज-सज्जा (इंटीरियर्स) करवाई । जब […]
१. मां, आपको तो पता है कि मैं एक निजी विद्यालयमें (प्राइवेट स्कूलमें) शिक्षक हूं, मेरी आय निश्चित और सीमित है; किन्तु मैं जब भी आपके चरणोंमें उपासनाके कार्यके निमित्त मासिक अर्पणमें अंश मात्रकी भी वृद्धि करता हूं तो मुझे उसका चार गुना अधिक धन उस माह प्राप्त होता है और यह कैसे सम्भव होता […]
मेरे एक मित्र अनुराग शर्माको प्रतिदिन सत्संग भेजता हूं (वह सेवा भी करना चाहता है, तनुजा मांके प्रति उसकी श्रद्धा भी है; परन्तु उसे बहुत अधिक आध्यात्मिक कष्ट है; अतः नित्य किसी नूतन समस्यासे घिरा रहता है | आज उसका सन्देश आया कि आज मांको बहुत दिनों उपरान्त सुना । वह बता रहा था कि […]
१. पत्रिका वितरणके समय, एक साधकके घरपर भोजन कर रहा था । भोजन श्राद्धका था; इसलिए प्रार्थना अधिक की । भोजनके मध्यमें एकाएक मैं गर्दन नीचे करके बैठ गया और ऐसा लगा जैसे परम पूज्य बाबा (भक्तराज महाराज) मुझे अपने आश्रममें बुला रहे हों और मैं इन्दौरवाले भक्त वात्सल्य आश्रममें सूक्ष्मसे जाकर उनके समक्ष बैठ […]
१. जब वर्ष २०१० मैं तनुजा मांके साथ जगद्धात्रि पूजामें एक समीपके गांवमें गई और अकेले ही मन्दिरके भीतर जाकर जैसे ही प्रणाम किया वैसे ही वहां जितनी भी मूर्तियां थीं मुझे सभीमें तनुजा मांका प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगा । २. दिनाक २५ जुलाई २०१० में एक दिन हमारे घरमें कोई भी नहीं था और […]
पहले मेरा पढनेमें बिलकुल मन नहीं लगता था, परन्तु जबसे मैं काली मंदिरमें ‘उपासना’के सत्संगमें जाने लगी हूं और नामजप करने लगी हूं, तबसे मेरा मन आनन्दी रहने लगा है और पढाईमें मेरा मन लगने लगा हैं । अब सत्संगमें न जाऊ, तो मन अस्वस्थ हो जाता है, और नामजप भी उठते-बैठते होने लगा है […]
१. छह अक्टूबर २०१३को मैं देहली आश्रमके सत्संगमें गई जो तनूजा मांने लिया था । सत्संगसे आनेके पश्चात् सम्पूर्ण रात्रि मैंने मांको सिंहपर बैठे हुए पाया और उनके साथ ही मेरे गुरुदेव परम पूज्य मेहीं बाबा भी थे, दोनों ही सत्संग कर रहे थे और मुझे अत्यधिक आनन्द आया, ऐसा लगा कि जैसे मैं सम्पूर्ण […]
११ मार्च २०१४ को इंदौरके भक्तवत्सल आश्रमके सन्त परम पूज्य रामानन्द महाराजका देह त्याग हो गया और उनकी महासमाधिमें उपस्थित होने हेतु तनुजा मांका हमारे घर तीन दिवस रहना हुआ।इन तीन दिवसोंमें उनके दिव्य सान्निध्य एवं सेवाका सौभाग्य प्राप्त हुआ और उनकीकृपाके कारण अनेक अनुभूतियां हुईं । प्रस्तुत हैं उनमेंसे दो अनुभूतियां १. १३मार्चकोप्रात: पांच […]
* मुझे मंचसे सूत्र संचालनकी सेवा मिली थी। मंचपर जब वक्ता कुछ बोल रहे थे तो मैं पोडियमके पीछे बैठा था। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे कोई पीछेसे धक्का देकर आगे पीछे कर रहा हो। पहले तो यही सोचा कि सम्भवतः अल्पनिद्राके कारण ऐसा हो रहा होगा; किन्तु कार्यक्रममें उपस्थित एक अन्य साधक […]