सोमदत्त नामक एक ब्राह्मण राजा भोजके पास गया और बोला, “महाराज, आपकी आज्ञा हो तो आपके नगरके नागरिकोंको भागवत कथा सुनाना चाहता हूं, इससे प्रजाका हित होगा एवं मुझ ब्राह्मणको यज्ञके लिए दक्षिणाका लाभ भी प्राप्त ……..
एक बार संत ज्ञानेश्वर महाराजसे किसी भोली माईने पूछा, “महाराज, जब भगवान सभीके हैं, तो वे सभीको आत्मज्ञान क्यों नहीं देते ?” यह सुनकर संत ज्ञानेश्वर बोले, “माई, यह सत्य है कि प्रभु सभीके हैं; किन्तु सभीकी योग्यता……..
इसके पश्चात संत महाराज शिष्यको समझाते हुए बोले, “यदि तुम यह चाहते हो कि मैं अपने इसी स्थूल स्वरूपमें आऊं तो तुम मुझे नहीं, मेरी इस देहको पूजते हो । इसी कारण जब मैं रूप परिवर्तित करके तुम्हारे पास आया तो तुमने मुझे कुछ भी नहीं दिया । इसके गूढ अर्थको……..
गुजरातके सुरेन्द्रनगर जिलेके कांत्रोडी गांवमें मेघजी नामका दरिद्र बालक एक सेठके यहां गाय चरानेकी चाकरी करता था । एक दिवस जंगलमें गाय चराते समय उसे गुफामें एक साधनारत महात्माजीके दर्शन हुए । मेघजीने महात्माजीको……..
अति प्राचीन बात है । दक्षिण भारतमें वीरसेन नामक राजा राज्य करते थे । उन्हींके राज्यमें विष्णुदेव नामक एक ब्राह्मण था । एक बार अकालके कारण भिक्षा मिलनी बंद हो गई । पूर्व कालमें ब्राह्मणका मूल धर्म होता था, साधना करना और समाजको धर्मशिक्षण……..
एक समयकी बात है । आर्य चाणक्य अपमान भुला नहीं पा रहे थे । शिखाकी खुली गांठ हर क्षण भान कराती थी कि धनानन्दके राज्यको शीघ्रातिशीघ्र सिंहासनच्युत करना है । चन्द्रगुप्तके रूपमें एक ऐसा योग्य शिष्य उन्हें मिला था, जिसको उन्होंने बाल्यकालसे ही मनोयोगपूर्वक सिद्ध (तैयार) किया था । यदि चाणक्य प्रकाण्ड विद्वान थे तो […]
१७ फरवरी २०१७ को वीर सेनानी वासुदेव बलवन्त फडकेका स्मृतिदिवस है । आइए ! इस दिवसके उपलक्ष्यमें हम इस हुतात्माके विषयमें जानकर उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करें ! १. सशस्त्र संघर्षका जनक भारतमें जब १८५७ की क्रान्तिमें अंग्रेज भारतीयोंपर अत्याचार कर रहे थे, उस समय इस बालककी आयु मात्र १२ वर्ष थी; परन्तु यह […]
विक्रम संवत अनुसार माघ शुक्ल पक्ष एकादशीको अर्थात ७ फरवरीको भारतके महावीर महाराणा प्रतापजीका स्मृतिदिन है, उनके नामसे भारतीय इतिहास आज भी गूंजायमान है । वह भारत भूमिके ऐसे वीर सुपुत्र थे जिन्होंने मुगलोंको छठीका दूध स्मरण करा दिया था । इनकी वीरताकी कथासे भारतकी भूमि अत्यन्त गौरान्वित है । वह मेवाडकी प्रजाके प्राण थे […]
(आविर्भाव-पौष शुक्ल ११, जनवरी १६०७, महाप्रयाण-पौष शुक्ल ११, जनवरी १८८७) अ. सन्त ही समाजके आदर्श क्यों ? पौष शुक्ल एकादशीके दिवस अवधूत एवं सिद्ध महायोगी तेलंग स्वामीजीकी जयन्ती एवं पुण्यतिथि दोनों ही है; इसीलिए आज हम उनके जीवनसे सम्बन्धित कुछ विशेष प्रसंगोंके विषयमें जानेंगे ! हमारी वर्तमान निधर्मी शिक्षण पद्धतिमें सन्तोंके विषयमें कुछ भी ज्ञान […]
वैराग्य किसीको भी और कभी भी हो सकता है; किन्तु इसके लिए भी ईश्वरकी कृपा होना आवश्यक है । वैरागियोंकी चर्चामें भर्तृहरिका(भरथरी) नाम प्रमुखतासे लिया जाता है । उज्जयिनीके (उज्जैन) राजा भर्तृहरिके पास ३६५ पाकशास्त्री(रसोइए) थे, जो राजा और उसके परिवार तथा अतिथियोंके भोजन बनानेके लिए नियुक्त थे । एक पाकशास्त्रीको वर्षमें केवल एक ही […]