प्रेरक प्रसंग

प्रेरक प्रसंग – विष्णुजीकी कहानी 


कष्टों और संकटोसे मुक्ति पानेके लिए विष्णुजीने मनुष्यके कर्मोंको ही महत्ता दी है । उनके अनुसार आपके कर्म ही आपके भविष्यका निर्धारण करते हैं । भाग्यके सहारे बैठे रहनेवाले लोगोंका उद्धार होना संभव नहीं है । भाग्य और कर्मको अच्छेसे समझनेके लिए पुराणोंमें एक कथाका उल्लेख मिलता है ।      एक बार देवर्षि नारदजी […]

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प्रेरक प्रसंग – क्यों हनुमानजीने भीमको दिए अपने शरीरके तीन बाल ?


       पांडवोंने श्रीकृष्णकी सहायतासे कौरवोंपर विजय प्राप्त कर ली थी । अब हस्तिनापुरका राज्य पांडवोंके अधीन था । धर्मराज युधिष्ठर राजा बने  थे । न्याय और धर्मकी प्रतिमूर्ति महाराज युधिष्ठरके राज्यमें सब कुशल मंगल था । समस्त हस्तिनापुर आनंदमयी जीवन व्यतीत कर रहा था । कहीं भी किसी प्रकारका दुःख न था ।  […]

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प्रेरक प्रसंग – ईश्वर प्रत्येक स्थानपर दिखाई नहीं देता; परन्तु तुम उसे अनुभव कर सकते हो !


      तेरहवीं शताब्दीमें महाराष्ट्रमें एक प्रसिद्ध सन्त हुए ‘सन्त नामदेव’। कहा जाता है कि जब वे बहुत छोटे थे तभीसे भगवानकी भक्तिमें डूबे रहते थे । बालकाल्यमें ही एक बार उनकी माताने उन्हें भगवान विठोबाको प्रसाद चढानेके लिए दिया तो वे उसे लेकर मंदिर पहुंचे और उनके हठ व भोले भावके आगे भगवानको […]

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प्रेरक प्रसंग – शिवके गण नंदीकी कहानी


पौराणिक दन्तकथा अनुसार, एक बार शिवजीके निवास स्थानपर कुछ दुष्ट व्यक्ति प्रवेशकर जाते हैं । इस बातका बोध होते ही शिवजी नंदीको कुछ निर्देश देनेके लिए बुलाते है; परन्तु अतिउत्साही नंदी शिवजीको अनसुना करके उन दुष्टोंके पीछे भाग पडता है। नंदीके इस अबोध आचरणसे क्रोधित होकर भगवान शिव नंदीको आज्ञा देते हैं कि आजसे तुम्हारा […]

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प्रेरक प्रसंग – भीमसेनका अभिमान


 पाण्डु पुत्र भीमको अपनें बलशाली होनेपर अत्यंत गर्व हो जाता है। वनवास कालके मध्य एक दिन वह वनकी ओर विचरते हुए दूर निकल जाते हैं । मार्गमें उन्हे एक वृद्ध वानर मिलता है । वानरकी पूंछ भीमसेनके मार्गमें बिछी होती है । तभी भीम उसे अपनी पूंछ दूर हटा लेनेको कहते हैं; परन्तु वृद्ध वानर […]

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प्रेरक प्रसंग -भस्मासुरको शिवका वरदान !


पूर्व कालमें भस्मासुर नामका एक राक्षस हुआ करता था । उसको समस्त विश्वपर राज करना था । अपने इसी प्रयोजनको सिद्ध करने हेतु वह शिवकी कठोर तपस्या करता है । अंतमें भोलेनाथ उसकी वर्षोंकी गहन तपस्यासे प्रसन्न होकर उसके समक्ष प्रकट होते हैं । शिव उसे वरदान मांगनेके लिए कहते हैं । तब भस्मासुर अमरत्वका […]

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साधकके गुण (भाग-८)


साधना करते समय धैर्यका होना

साधनाका पथ बहुत लम्बा, अदृश्य व कठिनतम होता है ! अनके बार साधना करनेपर यदि किसी साधकको त्वरित उसका प्रभाव नहीं दिखता है तो वे अपना धैर्य खो देते……

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प्रेरक कथा – साधना हेतु पुरुषार्थ आवश्यक


किसी नगरमें एक सेठ रहता था । उसके पास अपार धन सम्पदा थी, बहुत बडी कोठी थी, नौकर-चाकर भी थे, अर्थात सभी सुख सुविधा थी; किन्तु इसके पश्चात भी सेठको एक क्षणकी भी शान्ति नहीं…..

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प्रेरक कथा – विषयोंमें दुर्गन्ध


एक धर्मनिष्ठ राजा एक महात्माकी पर्णकुटीपर जाया करते थे । उन्होंने एक बार महात्माको अपने राजप्रसादमें(महल) पधारनेके लिए विनती की; परन्तु महात्माने यह कहकर टाल दिया कि “मुझे तुम्हारे राजप्रसादमें बडी दुर्गन्ध आती……

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प्रेरक कथा – संयमका प्रभाव


एक समयकी बात है, देवताओं और असुरोंमें घोर युद्ध हो रहा था । राक्षसोंके अस्त्र-शस्त्र, बल और युद्ध कौशलके सम्मुख देवता बारम्बार पराजित हो रहे थे; इसी क्रममें एकबार वह पराजित होकर किसी प्रकार अपने प्राणोंकी रक्षा हेतु वहांसे पलायनकर गए एवं सभी एकत्रित होकर दत्तात्रेय देवताके आश्रममें आए और उन्हें अपनी विपत्तिकी गाथा सुनाई […]

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