सोनाक्षी सिन्हाके रामायणसे सम्बन्धित उत्तर न देनेपर अनेक लोग उसका उपहास कर रहे हैं, ऐसे सभी लोगोंसे पूछना चाहेंगे कि क्या इसके लिए हमारी शिक्षण पद्धति दोषी नहीं है ? आज सामान्य हिन्दुओंको धर्मका ज्ञान है ही कहां ! और अनेक लोग ….
मैंने पाया है कि आजकल कुछ ब्राह्मण जो कर्मकाण्ड करते हैं वे मद्यपान करते हैं ! दो वर्ष पूर्व मैं दिसम्बरके माहमें काशी गई थी ! वहांके ज्योतिर्लिंगके दर्शनसे निकलकर जब हम मंदिर प्रांगणमें स्थित कुंवेकी प्रदक्षिणा लगा रहे थे तो वहीं बैठे एक पण्डेने हमारे एक…….
किसी विशिष्ट व्रत या त्यौहारके समय कुछ पण्डितगण लोभमें आकर बहुतसे घरोंमें पुरोहिताईका नियोजन कर लेते हैं और उसके पश्चात वे सभी घरोंमें पूजन कराते समय जैसे अपना कोई कार्य निपटा रहे हों, ऐसी प्रवृत्तिसे सब कुछ हडबडीमें करते और कराते हैं …..
पुष्पको तोडकर उसे विद्रूप करनेसे उस पुष्पमें देवताको आकृष्ट करनेकी क्षमता न्यून हो जाती है; इसलिए यजमानको जितना आवश्यक हो उतना पुष्प लानेको कहें…..
पूजन करते समय पण्डितोंने इस बातका ध्यान रखना चाहिए कि पूजनमें उपयोगमें ली जाने वाली सामग्री यथासम्भव सात्त्विक हों | यथासम्भव इसलिए कह रही हूं क्योंकि इस घोर कलियुगमें पूर्ण रूपसे सभी सात्त्विक ….
पिछले तीन वर्षोंसे उपासनाके आश्रममें या भिन्न स्थानोंपर हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना निमित्त भिन्न कर्मकाण्डीय अनुष्ठान हो रहा है ! उस मध्य मैंने भिन्न पण्डितोंद्वारा पूजन कराते समय अज्ञानतावश कुछ चूकें करते पाया तो उसे मैं समष्टि हितार्थ आपसे साझा कर रही हूं….
आजकल मैंने देखा है कि कुछ पंडितगण जब कर्मकाण्ड कराते हैं तो वे अपने स्तोत्र या मंत्रके ग्रन्थके स्थानपर भ्रमणभाष (मोबाइल) लेकर पूजा कराते हैं और जैसे ही यजमान कुछ कर रहे होते हैं वे भ्रमणभाष संचमें अपने गोरखधंधेमें उलझ जाते हैं ! देव पूजा तभी सफल होता है जब पूजक और पुजारी दोनों उसे […]
सात्त्विक एवं पारम्परिक वस्त्र साडीको सिलकर या उसे भिन्न प्रकारसे धारण करवाकर, तामसिक कैसे करना चाहिए, यह आजके कोई तमोगुणी डिजाइनरसे सीखें ! यह सब समाजको सत्त्व-रज-तमके सिद्धांत, शिक्षण प्रणालीमें न सिखानेका ही परिणाम है !
जैसे हमारे पास दस रुपए होंगे तो ही हम उसे अपने बच्चोंको दे सकते हैं, वैसे ही यदि हमारे पास जब धर्म और साधनाकी जानकारी होगी तो ही हम उसे अपने बच्चोंसे दे सकते हैं……….
जो कर्मठ होते हैं उनका सर्वत्र सम्मान होता है और जो देहचोर (आलसी) होते हैं वे कभी किसीके प्रिय नहीं बनते ! आजकी पीढीमें आलस्य रुपी दोष बहुत अधिक है इसलिए वे ऐसे स्थानपर जब भी जाते हैं जहां उन्हें थोडा अधिक श्रम करना पडे तो उनकी सबसे अनबन हो जाती है । आज अधिकांश […]