संस्कार, संस्कृति एवं भाषा

उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग -१३)


उपासनाके गुरुकुलमें स्वसंरक्षणको विशेष महत्त्व दिया जायेगा इस हेतु सभी विद्यार्थियोंको लाठी-काठी, भाला-फेंक, तलवार चलानेके साथ ही मल्लयुद्ध, कुश्ती, कराटे जैसे कौशल्यमें निपुण किया जाएगा …..

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उपासनाका गुरुकुल कैसे होगा ? (भाग – १२)


उपासनाके गुरुकुलमें आरम्भिक कालसे ही बच्चोंको अग्निहोत्र, देव पूजन व  नित्य आरती, जनेऊधारीके लिए संध्या, पितृकर्म हेतु भिन्न प्रकारके श्राद्ध कर्म व तर्पण, सत्यनारायण पूजा, रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन जैसे पूजा विधियोंमें पारंगत किया जायेगा …..

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विदेशसे भारतीयोंको लानेका क्रम शासनने अभी भी नहीं रोका !


कल भी कोरोनासे अत्यधिक प्रभावित देश ईरानसे भारतीयोंको लाया गया और सेनाके संरक्षणमें कुछ दिवसके लिए रखा गया है । क्या हमारे सैनिकोंको उन्होंने अमृत दिया है जो ऐसे आगंतुकोंसे उन्हें …..

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विदेशमें चाहे जितना भी ऐश्वर्य हो, वहां रावण राज्य ही है !


विदेशमें चाहे जितना भी ऐश्वर्य हो, वहां रावण राज्य ही है । अमेरिकामें ‘कोरोना’ द्रुत गतिसे अपने पांव फैला रहा है, ऐसेमें वहांके राष्ट्रपतिका कहना है कि वे देशव्यापी बन्दी नहीं लाएंगे; क्योंकि उनके शत्रु यही तो चाहते हैं कि बन्दी हो एवं उससे वहांकी अर्थव्यवस्थाको हानि पहुंचे और वे चुनाव हार जाएं ! यह […]

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२१ दिनकी बन्दीके समयका सदुपयोग कैसे करें ? (भाग-३)


विश्वयुद्ध अब निकट ही है, ऐसेमें अपने समयका सदुपयोग उद्यानिकीमें (बागवानीमें) भी करें ! आपके पास जो भी स्थान उपलब्ध हो, उसमें शाक-तरकारी (सब्जी) उगानेका प्रयास करें ! जैसे कद्दू, (कहीं-कहीं इसे कोहडा कहते हैं) उसका बीज आपको ……

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उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग -११)


उपासनाके गुरुकुलमें जैसे पूर्वकालमें सैनिक सिद्ध किए जाते थे, वैसे ही जिन विद्यार्थियोंका वर्ण क्षत्रिय (जाति नहीं) होगा, उन्हें उस वर्णकी शिक्षा अन्तर्गत युद्ध हेतु पारम्परिक एवं आधुनिक, दोनों ही प्रकारके …..

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सुसंस्कार कैसे निर्माण होता है ?, इसका एक उदहारण !


सुसंस्कार कैसे निर्माण होता है ?, इसका एक उदहारण देती हूं । हमने आरम्भसे ही ‘व्हाट्सऐप्प’के ‘जाग्रत भव’ गुटमें यह नियम बनाया था कि मात्र संस्थाकी ओरसे नियमित तीन या चार धर्मशिक्षण या राष्ट्र रक्षण निमित्त लेखन या सत्संग भेजे जाएंगे, अन्योंको इसमें ‘पोस्ट’ करनेकी अनुमति नहीं होगी ! इस गुटका मुख्य उद्देश्य समाजमें जाग्रति […]

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निधर्मी शिक्षण प्रणालीसे उपजे उच्च शिक्षित लोगोंकी स्वार्थी एवं विवेकशून्य वृत्ति !


हमारी इस निधर्मी शिक्षण प्रणालीसे उपजे अनेक उच्च शिक्षित लोग स्वार्थी एवं विवेकशून्य होते हैं । इसके अनेक उदहारण इस आपातकालमें देखनेको मिले हैं, दो उदहारण देती हूं । एक महोदय भारतीय प्रशासनिक सेवाके अधिकारी हैं, उन्हें ‘कोरोना’ सन्दिग्ध होनेके कारण एकाकी रहनेको कहा गया था; किन्तु वे बिना बताए केरलसे कानपुर पहुंच गए ! […]

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प्रतिष्ठामें प्राण गंवाना !


मुझे यह नहीं समझमें आ रहा है कि जब भारत शासनको पता ही था कि विदेशमें सर्वत्र ‘कोरोना वायरस’ फैला हुआ है तो इन्होंने सवा अरबकी जनसंख्याके साथ इतना बडा खिलवाड क्यों किया …..

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२१ दिनकी बन्दीके समयका सदुपयोग कैसे करें ? (भाग-२)


ग्रन्थ ऐसा पढें जिससे आपकी साधनाको गति मिले, आपकी शंकाओंका समाधान हो एवं अध्यात्मके तथ्योंका ज्ञान हो । इस हेतु यदि आपके पास ग्रन्थ नहीं ……

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