मैंने देखा है कि जिन घरोंमें अत्यधिक क्लेश होता है वहां या तो लक्ष्मीका प्रवेश नहीं होता है या वहां लक्ष्मी हों तो वे थोडे समयमें रुष्ट होकर चली जाती हैं । यह शास्त्र वचन इस तथ्यकी पुष्टि करता है । मुर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम् । दंपत्यो कलह: नास्ति तत्र श्री: स्वयमागत: […]
साधको ! आपके घरमें रोटी या चावल, आप जिसका भी अधिक सेवन करते हैं, उसके भण्डारण हेतु क्या कर सकते हैं ?, इसपर शीघ्र चिन्तन आरम्भ करें ! आपके परिवार हेतु कमसे कम एक वर्षके अन्नका भण्डारण हो सके इस हेतु घरमें थोडा स्थान बनाएं ! जब मैं यह साधकोंसे कहती हूं तो वे कहते […]
कलियुगी गुरु-शिष्य सम्बन्धमें शिष्य यदि अधिक गुणवान हो तो वह गुरुसे आगे निकल जाता है, इसकी मैंने प्रतीति कुछ दिवस पूर्व ली है । मैं एक गुरु-शिष्यसे मिली । गुरुका आध्यात्मिक स्तर ४५% था और शिष्यका ५०% । जब मैंने यह जानना चाहा कि यह कैसे सम्भव हुआ ? तो ज्ञात हुआ कि शिष्यने जब […]
आजकल अनके बच्चोंको गर्भसे अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता है, इसकारण गर्भवती माताको या तो भिन्न प्रकारका कष्ट होता है या गर्भस्थ शिशुको होता है या जन्मसे पूर्व या जन्मके पश्चात कष्ट होता है । कुछ दिवस पूर्व मैं नासिक गई थी, वहां भी एक दो वर्षीय बच्चेको जब देखा तो ज्ञात हुआ कि उसके ऊपर […]
कुछ समय पूर्व उपासनाके आश्रममें एक भण्डारेका आयोजन किया गया था । एक व्यक्तिको सूचना मिलनेपर वह भी आश्रममें सेवा हेतु आए थे । आश्रममें आनेपर जब भण्डारेमें उन्हें कुछ सेवा दी गई तो बिना किसीसे पूछे उन्होंने ‘कैटरिंग’वालेको आनेकी सूचना दे दी । जब उनसे पूछा गया कि आप सेवा क्यों नहीं कर रहे […]
सन्त कार्य अनुरूप सब देते है इसकी पुनः प्रतीति मिली ! एक बार पुनः एक सन्तने मुझे एक सहस्र रुपये दिए । ६ अक्तूबरको इसी वर्ष मैं एक सिद्ध सन्त, सांगी बावडी स्थित हनुमान मन्दिरके महन्त पूज्य श्रीमनोहरदासजी महाराज आश्रममें गई थी । उन्होंने उस दिवसमें मुझे एक सहस्र रुपये दिए । मैंने उन्हें बताया […]
हमारे श्रीगुरुने एक बार कहा था कि भारत आज भी एक आध्यात्मिक देश है । यहां प्रत्येक जनपदके उपखण्डमें आज भी योगी, सिद्ध और सन्त रहते हैं । धर्मप्रसारके मध्य मैं, गुरुकृपासे ऐसे अनेक अध्यात्मविदोंसे मिली हूं । ऐसे ही एक सिद्ध पुरुषसे हमारी भेंट इस बार जानापावके महन्त परम पूज्य बद्रीनन्द बाबाके देहत्यागके उपरान्त […]
जिस स्थानपर भी चार भीत्तिकाएं (दीवारें) खडी हो जाएं, उसे वास्तु कहते हैं और वहां जो शक्ति निर्मित हो जाती है, उसे वास्तु देवता कहते हैं । आजकल ‘वास्तु’, यह शब्द एक शोभाचार (फैशन) समान प्रचलित हो गया है और अनेक ढोंगी इस शास्त्रका आधार ले, समाजको दिशाहीनकर, उन्हें लूटते हैं; अतः सर्व-सामान्य व्यक्तियोंको इसके […]
साम्प्रतकालमें समाचारपत्रोंमें अधिकतर तमोगुणी समाचार जैसे भ्रष्टाचार, लूटपाट, दुर्घटना, चोरी, बलात्कार इत्यादिके ही वृत्त होते हैं, इसे प्रातःकालके समय पढनेसे हमारी सूक्ष्म देह अर्थात मन एवं बुद्धिपर काला आवरण आ जाता है और सम्पूर्ण दिवस, यह अनावश्यक आवरण हमारी बौद्धिक एवं मानसिक क्षमताको घटा देता है और मनको अशान्त रखता है; इसीलिए दिवसका शुभारम्भ कुछ […]
धर्मप्रसारके मध्य मैंने पाया है कि जिनके भी माता-पिता किसी हिन्दूद्रोही पन्थ, संस्था या संगठनसे हों या कोई राष्ट्रद्रोही संस्थामें क्रियाशील रहे हों, उन्हें तो कष्ट होता ही है, उनके बच्चोंको भी आध्यात्मिक कष्ट होता है । मेरे पास इसके अनेक उदाहरण हैं । वहीं सन्त या गुरुके मार्गदर्शनमें राष्ट्र व हिन्दू धर्म सम्बन्धित कार्य […]