जिस व्यक्तिका विवेक और सूक्ष्म इन्द्रियां, दोनों जागृत हों, वह सूक्ष्मसे मिलनेवाले सन्देशको त्वरित समझकर उसी अनुरूप कृति करता है । यहां एक विशेष तथ्य ध्यान रखें, जिन्हें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता है….
सूक्ष्म इन्द्रियोंकी प्रक्रिया सीखने हेतु ९५ % प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो हमारे ‘जागृत भव’के सदस्य नहीं है; किन्तु हमारे सत्संगके नियमित श्रोता है या लेखोंको नियमित पढते हैं । ६० % व्यक्ति ऐसे हैं, जो हमारे भ्रमणभाषमें ‘जागृत भव’के अतिरिक्त ३०० अन्य ‘व्हाट्सएप’ गुटके सदस्योंमेंसे भी नहीं होते हैं, इसे यह सिद्ध होता है […]
अभी तक जितने भी व्यक्ति इस प्रक्रियाको गम्भीरतासे और नियमित करने लगे हैं, उन सबके वलयमें आश्चर्यजनक सुधार ही नहीं अपितु उनके सकारात्मक वलयमें बहुत ही सुन्दर वृद्धि पाई गई है । इससे ही प्रक्रियाकी दिशा योग्य है…
एक व्यक्तिने पूछा है कि क्या सूक्ष्म इन्द्रियोंकी प्रक्रिया सीखते समय हमें कष्ट हो सकता है ?
एक व्यक्तिने पूछा है कि क्या सूक्ष्म इन्द्रियोंकी प्रक्रिया सीखते समय हमें कष्ट हो सकता है ? यह प्रश्न उसी प्रकार है जैसे कोई कमांडो बनना चाहता हो; किन्तु उसके प्रशिक्षणके मध्य उसे कोई कष्ट तो नहीं होगा यह प्रश्न पूछता हो…
सूक्ष्म जगत आज रात्रि ढाई बजे उठकर हिन्दू वार्ताका संकलन कर रही थी । संकलनके समय नूतन धारिका (न्यू डॉक् फाइल) खोलकर उसमें विषय संकलित कर रही थी । आज योगासन प्राणायाम भी इस सेवाके कारण नहीं किया । डेढ घण्टेकी सेवा हो चुकी थी; अतः पांच बजे सोचा कि थोडा दूध ले लेती हूं […]
यदि घरमें कष्ट हो तो भी दो प्रकारके व्यक्तियोंको भयावह स्वप्न नहीं आ सकते हैं एक वे, जिनकी साधना अन्तर्मनमें चल रही हो तो उनकी सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियां एवं कर्मेन्द्रियां कार्यरत रहती हैं और इसकार वे निद्रामें भी अनिष्ट शक्तियोंका प्रतिकार कर सकते हैं….
वर्तमान कालमें अधिकांश हिन्दू योग्य प्रकारसे साधना नहीं करते हैं और इस कारण उनका वास्तु अशुद्ध होता है अर्थात उसमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट या वास होता है | धर्मशिक्षणके अभावमें अधिकांश हिन्दू निद्राको एक सामान्य कृत्य मानते हैं….
आजकल देखादेखी अनेक माता-पिता अपनी नन्हीं बच्चियोंको लडकोंवाला वस्त्र या पाश्चात्य वस्त्र पहनाकर गर्व अनुभव करते हैं; किन्तु इससे उन्हें बाल्यकालसे अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट हो जाता है और उनमें ऐसी अनिष्ट शक्तियां जो विपरीत लिंगकी होती हैं….
आजकल स्त्रियोंकी वेशभूषा देखकर कभी हंसी आती है तो कभी आश्चर्य होता है, जो भी वस्त्र प्रचलनमें होता है वे बिना सोचे समझे उसे धारण कर लेती हैं, वे उसमें कैसे लग रही हैं, वह सात्त्विक है या नहीं इन सबसे उनका कोई लेना-देना नहीं होता है, ये अनुकरणप्रिय (नकलची) बन्दर समान कुछ भी धारण […]
वर्ष २०२३ से हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाका कार्य आरम्भ हो जायेगा । उच्च पदोंपर योग्य व्यक्तिको पदासीन करनेकी भी प्रक्रिया आरम्भ हो जाएगी । जिस व्यक्तिमें अधिक साधकत्व होगा, जिसका राष्ट्र और धर्मके लिए अधिक त्याग होगा, जिसकी सूक्ष्म इन्द्रियां अधिक विकसित होगी, उन्हींको उच्च राष्ट्रीय एवं सामाजिक पदोंपर आसीन किया जाएगा । क्योंकि राम राज्य […]