हनुमानजीमें ७०% प्रकट शक्ति है, इसलिए असुरोंकी नगरी लंकामें एक भी असुर उनका कुछ भी नहीं बिगाड सका, अपितु उन्होंने ही स्वर्णकी मायावी लंका नगरीको ही उद्ध्वस्त कर दिया ! परंतु धर्माभिमानके अभावमें आज अधिकांश हिन्दू मजारपर जाते हैं !! मजारकी अपेक्षा कई गुणा अधिक शक्ति हनुमानजीके मंदिरमें है | अनिष्ट शक्तिसे पीडित हिन्दू मजारपर जाकर वहां अपनी इच्छा प्रकट करते हैं और वहां उपस्थित क्षुद्र मायावी शक्तियां हिंदुओंको पथभ्रष्ट और धर्मभ्रष्ट करने हेतु उनकी इच्छाकी पूर्ति करतीं हैं, जिससे वे पुनः वहां जाएं !! आजका धर्मनिरपेक्ष (धर्मसे विमुख) हिन्दू इस छोटी सी बातको नहीं समझता !! मजारके धनसे क्या होता है, यह तो सम्पूर्ण विश्व जानता है और हिन्दू वहां जाकर अपनी गाढी कमाई अर्पण करते हैं !! जिस प्रमाणमें हिन्दू मजारमें जाते हैं, उसी प्रमाणमें अन्य किसी धर्मीको हिंदुओंके किसी भी देवालय या समाधिस्थल पर जाकर उपासना करते देखा है क्या ? यह है आजके हिंदुओंका धर्माभिमान (धर्मभ्रष्टता) !!! यह ध्यान रहे, मात्र सनातन धर्मके सिद्धान्तपर चलने वाले सिद्ध, योगी और महापुररूषोंने पूर्णत्त्व (ईश्वरसे पूर्ण एकरूपता) को प्राप्त किया, शेष किसी भी धर्म या पंथके सिद्धोंको पूर्णत्त्वकी प्राप्ति नहीं हुई और वे सूक्ष्म जगतकी बलाढ्य आसुरी शक्तिके नियंत्रणमें चले गए, ऐसेमें वे आपको सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तिसे कैसे बचा पाएंगे ? कृपया सोचें !!!- पू. तनुजा ठाकुर
किसी को अनिष्ट शक्ति का अधिक कष्ट हो तो उससे कैसे बचे जब वो शक्ति प्रकट रूप में हो कृपया सहायता करे
रवि जुनेजा मथुरा
९९९७७४६३९४