साधना और योग्य साधनामें भेद


आज अधिकांश व्यक्ति कुछ न कुछ साधना तो करते हैं; परन्तु धर्मशिक्षणके अभावमें योग्य साधना नहीं करते; फलस्वरूप साधना करनेपर जितनी आध्यात्मिक प्रगति होनी चाहिए उतनी नहीं होती है । आज अधिकांश हिन्दुओंकी स्थिति ऐसी है कि जैसे बायां हाथ टूटा हो और दाहिने हाथमें ‘प्लास्टर’ लगाकर कर घूम रहे हैं और कह रहे हों कि बाएं हाथकी वेदना ठीक नहीं हो रही है; इसलिए अध्यात्मशास्त्रको जानने एवं समझनेकी अत्यधिक आवश्यकता है और सभी योग्य साधना करे, इस हेतु साधना सीखकर उसे प्रत्यक्ष आचरणमें उतारकर, उसका प्रसार करना चाहिए । – तनुजा ठाकुर



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