आपकी आध्यात्मिक पात्रता अनुरूपही आपको अध्यात्मविद मिलते हैं !


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अनेक व्यक्ति कहते हैं कि पहलेके युगों समान आज संत नहीं हैं, अपने पंद्रह वर्ष साधनाकाल और भ्रमणमें मैंने हिमालय और वनोंमें नहीं अपितु समाजमें अनेक गुप्त सिद्धों, योगियों, संतों एवं गुरुओंसे मिली ही नहीं हूं उनका आशीष और कृपा भी सहज ही प्राप्त हुआ है ! प्रत्येक युगोंमें साधक,जिज्ञासु , मुमुक्षु एवं शिष्योंके लिए ईश्वर संत गुरु और सिद्ध पुरुषों के रूप में अवतरित होते ही हैं , उन्होंने सृष्टिका निर्माण किया , इस मायाजालका निर्माण किया है तो क्या इस मायाजालसे निकालने हेतु योग्य आध्यात्मिक व्यक्ति इस संसारमें नहीं निर्माण करेंगे या भेजेंगे, यह कैसे संभव हो सकता है ! परंतु कलियुगी जीवको मात्र अपने सांसरिक लाभ और अपने प्रारब्धके कष्टको बिना स्वत: श्रम किए उसे दूर करनेवाले बाबाजी चाहिए परिणामस्वरूप उन्हें संत, योगी और सिद्ध पृरुष नहीं मिलते और जो मिलते वे उन्हें ठग लेते हैं, ध्यान रहे आपकी आध्यात्मिक पात्रता अनुरूप ही आपको अध्यात्मविद मिलते हैं ! अपनी पात्रता अपनी निष्काम भक्तिद्वारा बढ़ाएं और तब आपको ज्ञात होगा आज भी इस भ्रष्टाचार, व्यभिचार ग्रस्त भारतके प्रत्येक जिलेमें ऐसे उन्नत , दिव्यात्माएं, संत और सिद्ध तपस्वी सुलभ हैं और निकट भविष्यमें इनकी सहायतासे ही हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना होगी | क्षमा करें मैं ऐसे किसी भी अध्यात्मविदका नाम नहीं बताने वाली , अपनी पात्रता बढाकर मेरे इस तथ्यकी प्रचीति लें , अध्यात्ममें short cut नहीं होता ! -तनुजा ठाकुर



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