समाजमें, सन्त किसे कहते हैं, इसकी अनभिज्ञता देखकर मन क्रन्दन करता है । हिन्दुओंको धर्मशिक्षण प्राप्त न के कारण एवं योग्य साधनाके विषयमें मार्गदर्शन न मिलनेके कारण आज अधिकांश हिन्दुओंकी सूक्ष्म इन्द्रियां जागृत नहीं है…..
देहलीकी एक परिचित स्त्रीने मुझसे कहा, “मैंने युवावस्थामें विवाह इत्यादिको महत्त्व न देकर मात्र अपनी चाकरीमें पदोन्नति हेतु प्रयत्नरत रही और आज मेरी उपलब्धियोंपर मुझे और मेरे शुभचिन्तकोंको गर्व है; किन्तु आज मैं स्वयंको अनेक बार अत्यन्त एकाकी पाती हूं, जिससे मैं अवसादग्रस्त हो जाती हूं ।” उन्होंने मुझसे पूछा, “क्या अध्यात्ममें सबकुछ छोडकर आनेपर आपको भी ऐसा अनुभव होता है ?” मैंने कहा, “व्यवहार और अध्यात्ममें यही अन्तर है…..
धर्मशिक्षणके अभावमें आज हिन्दुओंके सार्वजानिक धार्मिक उत्सवोंमें भी अनेक विकृतीकरण आ चुके हैं । जैसे अनेक बार गणेशोत्सव, दुर्गापूजा उत्सव इत्यादिमें जो मूर्तियां स्थापित की जाती हैं,वे शास्त्रोक्त नहीं होतीं हैं । मिट्टीकी मूर्तिके स्थानपर……
शब्दको आत्मसात करनेके दो माध्यम हैं या तो उसे एकाग्रतापूर्वक पढकर जीवनमें उतारा जाए या विवेकसे उसे अपने चित्तमें ग्रहण किया जाए, इन दोनोंके लिए महत्त्वपूर्ण विषयको बार-बार पढनेकी आवश्यकता होती है…..
हिन्दू धर्ममें प्रत्येक देवी-देवताओंके अनेक नाम होते हैं, इन नामोंके गूढ भावार्थ होते हैं; वस्तुत: ये नाम उन देवताकी शारीरिक विशेषताएं, वैशिष्ट्य या लीलाके आधारपर रखा गया है; किन्तु धर्मशिक्षणके अभावमें अनेक बार हमें उसकी जानकारी नहीं होती है….
अपने इष्टदेवताके प्रति प्रेम निर्माण करने हेतु उनकी विशेषताओंका अभ्यास करें । सभी उच्च कोटिके देवताओंकी लीला, वैशिष्ट्य दर्शानेवाले ग्रन्थ, सन्तोंने लिखे हैं, उन्हें पढें ।
कर्णावती (अहमदाबादके) श्री पार्थने पूछा है कि हमें हमारी कुलदेवीका नाम कैसे पता चलेगा ?
धर्मप्रसारके मध्य मैंने पाया है कि कुलदेवताका (कुलदेव या कुलदेवी, दोनों इसके अन्तर्गत आते हैं) नाम सामान्यत: पंजाब, देहली और उत्तर प्रदेशके पश्चिमी भागको छोडकर अधिकांश लोगोंको ज्ञात होता है, किन्तु जिन्हें ज्ञात नहीं है, वे क्या कर सकते हैं, यह बताती हूं – १. आपके उपनाम (टाइटल) और गोत्रके लोगोंके कुलदेवता एक ही होते […]
अनेक सन्त बार-बार कह रहे थे कि आनेवाला काल भीषण होगा, साधना करें व करवाएं । इसलिए आज और अभीसे ईश्वर प्रसन्न रहे और इस आपातकालमें उनका संरक्षण मिले, ऐसा प्रयास करें ! सर्वप्रथम आपको अगले चार वर्ष नित्य, दो समयका भोजन मिले इस हेतु आपको आजसे कुछ तथ्य बताउंगी उसका पालन ……
कुछ जिज्ञासु एवं साधक वैदिक उपासना पीठसे जुडकर अग्निहोत्र आरम्भ कर चुके हैं और कुछ करनेवाले हैं, ऐसेमें वे इससे सम्बन्धित प्रश्न पूछते हैं तो मैंने सोचा ऐसे प्रश्न अन्य लोगोंके भी मनमें हो सकते हैं; इसलिए उन्हें जो उत्तर ……
आज अनेक लोगोंको आर्थिक संकट है, वे इस विषयपर समय-समयपर मुझसे पूछते हैं कि इसका निवारण कैसे करें ? ; इसलिए इस लेख शृंखलाके माध्यमसे आपको इस सम्बन्धमें कुछ तथ्य बतानेका प्रयास करेंगे, जो सम्भव हो, उनका पालन करनेका प्रयास करें, आपको ईश्वर निश्चित ही इसका शुभ परिणाम देंगे …..