उत्तर प्रदेशके मेरठ जनपदमें ‘वन्दे मातरम्’ के समय नगर निगम परिषद्के मुस्लिम सदस्य उठकर बाहर चले गए । इस देशमें रहनेवाले, जो इस देशको माताके रूपमें सम्मान नहीं दे सकते, जो इसकी संस्कृति है, वे यहां रहनेके अधिकारी हैं क्या ? (२.४.२०१७)
राम मन्दिर निर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण विषयको छह वर्ष प्रलम्बित कर रखनेवाले सर्वोच्च न्यायालयने हिन्दुत्वप्रेमी सुब्रमण्यम स्वामीजीके शीघ्र निर्णय देनेके सुझावको नकारते हुए कहा कि आप पक्षकार नहीं ! क्या १०० कोटि हिन्दुओंकी भावानाओंका मान रखकर शीघ्र न्याय करना, इस देशके न्यायतन्त्रका उत्तरदायित्व नहीं ? (१.४.२०१७)
सेनाके उच्च पदस्थ अधिकारियोंके अनुसार छत्तीसगढमें नक्सलवादियोंसे लडनेवाले सैनिकोंको वीरताके प्रदर्शन हेतु मिलते हैं अधिकतम २५०० रूपयेका पारितोषिक (इनाम), वहीं वैश्विक क्रीडा जगतमें स्वर्ण पदक जीतनेवाले भारतीय खिलाडियोंको मिलते हैं अनेक कोटि रूपये ! प्राण हथेलीपर रख, देशकी रक्षा हेतु करनेवाले सैनिकोंके ऐसे तिरस्कारको रोकने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना अपरिहार्य है ! (३१.३.२०१७)
योगीजीने अनाधिकृत पशुवधगृह बंद कराकर, मांस भक्षणकी तमोगुणी कृतिको कुछ सीमा तक प्रतिबन्धित किया है वहीं ममता बनर्जी बंगालमें घर-घर मांस पहुंचानेका योजना बना रही हैं !
भारतको हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु आर एस एस प्रमुख मोहन भागवतको बनाया जाए राष्ट्रपति – शिवसेना
क्या मोदी शासन इस सुझावको मानकर भारतको हिन्दू राष्ट्र बननेमें सहायता करेगी ?
देहलीके मुख्यमन्त्री माननीय श्री केजरीवालजीने कर्म और ज्ञानका सिद्धान्त प्रतिपादित करनेवाले ‘भगवद्गीता’ रुपी दैवी ग्रन्थकी भेंटको अस्वीकार कर पुन: यह सिद्ध किया है कि उनके रोम-रोममें हिन्दू धर्म एवं उसके सभी प्रतीक चिह्नोंके प्रति घृणा भरी है । इस देशकी राजधानीका मुख्यमन्त्री एक हिन्दूद्रोही है, इससे ही इस देशका लोकतन्त्र किस ओर जा रहा है […]
हिन्दुओ ! संजय लीला भंसाली जैसे ‘जिहादी’ मानसिकताके निर्माता एवं निर्देशकके चलचित्रोंका सामूहिक बहिष्कार करें, जो भारतके गौरवशाली इतिहासका सतत् विकृतीकरण कर उसे कलंकित करनेका प्रयास करते रहते हैं । राजस्थानके जिन वीरांगनाओंने जिहादी वासनान्धोंके हाथ स्वयंको सौंपनेकी अपेक्षा धधकती अग्निमें स्वयंको हंसते-हंसते समर्पित कर दिया, उनके अमर बलिदानको व्यर्थ न जाने दें ! -तनुजा […]
वर्तमान प्रजातन्त्रका यदि वीभत्स स्वरूप देखना हो तो चुनावके समय अवसरवादी सत्तालोलुप नेताओंके कुकृत्योंका निरीक्षण करना चाहिए । चुनावमें जीत पाने हेतु राष्ट्रहित एवं प्रजाहितको छोड, वे स्वहित साध्य करने हेतु किसी भी सीमातक गिर सकते हैं । इस स्थितिको परिवर्तित करने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना करना अनिवार्य हो गया है । -परात्पर गुरु ) […]
‘वैदिक उपासना पीठ’द्वारा ‘आइए संस्कृतनिष्ठ हिन्दी सीखें’, इस उपक्रमको उत्तम प्रतिसाद मिल रहा है, इससे यह समझमें आता है कि हिन्दू आज भी विशुद्ध हिन्दी सीखना चाहता है; परन्तु उसे सीखानेवालोंकी न्यूनता है । हिन्दुओ ! चिन्ता न करें, शीघ्र स्थापित होनेवाले हिन्दू राष्ट्रमें सर्वत्र संस्कृतनिष्ठ हिन्दीका पोषण एवं प्रचार-प्रसार होगा ।
सम्पूर्ण भारतके भिन्न राज्योंमें विशेषकर दक्षिण भारतमें सतत् हो रही हिन्दुत्ववादी नेताओंकी हत्या, हिन्दू संगठनके अभावका परिचय देती हैं अन्यथा जिस देशमें सौ कोटि हिन्दू रहते हों, उनके प्रतिनिधिकी ओर कोई वक्र दृष्टिसे भी कैसे देख सकता है ?- (परात्पर गुरु तनुजा ) ठाकुर