एक सन्त थे वृन्दावनमें रहा करते थे, श्रीमद्भागवतमें उनकी बडी निष्ठा थी, उनका प्रतिदिनका नियम था कि वे प्रतिदिन एक अध्यायका पाठ किया करते थे और राधारानीजीको अर्पण करते थे । ऐसे करते करते उन्हें ५५ वर्ष बीत गए; परन्तु उनका एक दिन भी ऐसा नहीं गया, जब राधारानीजीको भागवतका अध्याय न सुनाया हो । […]
एक अवसरका प्रसङ्ग है, सन्त तुकाराम महाराजके आश्रममें स्वभावदोषकी चर्चाके मध्य उनके एक शिष्यने, जो स्वभावसे कुछ उग्र था उनसे यह प्रश्न पूछा कि गुरुदेव, अत्यन्त विषम परिस्थितियोंमें भी आप पूर्णतः शान्तचित्त एवं सामान्य व्यवहार ……
एक बारकी बात है नारदजी विष्णु भगवानजीसे मिलने गए । भगवानने उनका बहुत सम्मान किया । जब नारदजी चले गए तो विष्णुजीने कहा, “हे लक्ष्मी ! जिस स्थानपर नारदजी बैठे थे । उस स्थानको गायके गोबरसे लीप दो । जब विष्णुजी यह बात कह रहे थे तब नारदजी बाहर ही खडे थे । उन्होंने सब […]
एक बार सूर्यवंशी राजा दिलीपके पुत्र भगीरथ हिमालयपर तपस्या कर रहे थे । वे गंगाको धरतीपर लाना चाहते थे। उनके पूर्वज कपिल मुनिके शापसे भस्म हो गए थे । मां गंगा ही उनका उद्धार कर सकती थी । भगीरथ अन्न-जल त्यागकर तपस्या कर रहे थे । मां गंगा उनकी कठोर तपस्यासे प्रसन्न हो गई । […]
कृष्णा नदीके तटपर करवीर नामक तीर्थक्षेत्र है । अनेक वर्षपूर्व वहां सखूका ससुराल था । उसके पतिका नाम दिगम्बर था । उसकी सास भी साथ ही रहती थी । सास स्वभावसे अत्यन्त कठोर थी । वह सखूको अत्यधिक पीडा देती थी । उसे भूखा रखती थी, पीटती भी थी …..
विचारोंको बार-बार दोहराने अर्थात विचारोंके सम्प्रेषणके बारेमें महाभारतमें अर्जुन व कर्णके साथ एक प्रसंग आता है कि कैसे एक विचारको बार-बार दोहराते रहनेसे वह विचार हमारे जीवनपर प्रभाव डालता है । इसी बातसे अनभिज्ञ कई लोग …..
बहुत समय पहलेकी बात है, किसी नगरमें एक बहुत प्रभावशाली सन्त रहते थे । उनके पास शिक्षा लेने हेतु दूर-दूरसे शिष्य आते थे । एक दिन एक शिष्यने सन्तसे प्रश्न किया, “स्वामीजी ! आपके गुरु कौन है ? आपने किस गुरुसे शिक्षा प्राप्त की है ?” सन्त, शिष्यका प्रश्न सुन …..