धर्म

आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषता (भाग – ८)


हिन्दू धर्म अवतारवादके सिद्धान्तको मानता है । गीतामें भगवान श्रीकृष्ण इस सिद्धांतकी पुष्टि करते हुए कहते हैं –
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत…….

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किसीभी प्रकारका अपव्यय टालें !


पीनेवाला जल हो या भोजन, उसका अपव्यय न करें, अन्यथा ईश्वरीय विधान अनुसार इसका फल सूखाग्रस्त क्षेत्रमें रहकर या दरिद्र होकर इस जन्म या अगले जन्ममें भोगना ही पडता है । ईश्वरको अपव्यय कदापि प्रिय नहीं; अतः हर प्रकारका अपव्यय टालें !

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषताएं (भाग – ७)


सत्त्व-रज-तमका सिद्धांत मात्र और मात्र वैदिक सनातन धर्मका अंग है और किसी भी सभ्यता, संस्कृति एवं पन्थोंमें (तथाकथित धर्मोंमें) इसका उल्लेखतक नहीं मिलता है !……….

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषता (भाग – ६)


विश्वके अधिकांश पंथका (तथाकथित धर्मका) अध्यात्म छिछला या सतही होनेके कारण वे पुनर्जन्मके सिद्धांतको मान्य नहीं करते हैं ! हिन्दू धर्मका अध्यात्मशास्त्र अत्यन्त प्रगत अवस्थामें…..

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषता (भाग – ५)


वैदिक सनातन धर्ममें नास्तिक और आस्तिक दोनों ही मतोंको मान्यता प्राप्त है ! अन्य अहिंदू पंथों समान यहां नास्तिकोंके साथ किसी भी प्रकारकी क्रूरता नहीं की जाती है…..

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषताएं (भाग – ४)


विश्वके अन्य पंथोंकी (तथाकथित धर्म) तुलनामें हिन्दू धर्मकी एक विशेषता यह है कि इस धर्ममें ईश्वरप्राप्तिके अनेक मार्ग हैं जिसे योगमार्ग, साधना पद्धति या उपासना पद्धति कह सकते….

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषताएं (भाग – ३)


वैदिक सनातन धर्ममें अध्यात्म और साधनाका कोई अन्त नहीं, ध्यानस्थ शिव हमें यही सीख देते हैं । विश्वके सभी पंथोंका अध्यात्म स्वर्ग लोकपर आकर समाप्त हो जाता है ! वैदिक सनातन धर्ममें सप्त उच्च लोकका (भू, भुव, स्वर्ग….

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषताएं (भाग – २)


विश्वमें सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो सगुण और निर्गुण दोनों ही साधना पद्धतियोंको मात्र मान्यता ही नहीं देती है, अपितु इसके भिन्न तत्त्वोंके सूक्ष्म पक्षका गहनतासे विवरण देते हुए साधकोंको इनमेंसे किसी भी मार्ग या सिद्धांतपर चलनेकी छूट देती है  । सनातन धर्मके सगुण और निर्गुण तत्त्वके उपासकोंमें कभी भी आपसी संघर्ष […]

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आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषता (भाग – १)


हिन्दू धर्म विश्वका एकमात्र धर्म है जो स्वयंभू है, इसके संरक्षक साक्षात अच्युत (भगवन विष्णु) हैं इसलिए धर्मग्लानि होनेपर….

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दुर्जन स्त्री भी दण्डकी अधिकारी है


कुछ लोग कहते हैं कि दुर्जन यदि स्त्री हो तो उसे कठोर दण्ड नहीं देना चाहिए ! शास्त्र कहता है, मात्र गर्भवती स्त्रीको कठोर शारीरिक या मानसिक दण्ड नहीं दिया जाना चाहिए अन्यथा यदि स्त्री अधर्म करे तो उसे भी अवश्य ही दण्ड देना चाहिए ! और इसका बहुत अच्छा उदाहरण रावणकी बहन शूर्पनखा है, […]

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