२०१३ के महाकुम्भमें एक प्रसिद्ध संन्यासीसे मिली जिन्हें सब सन्त कहते थे; परन्तु वे एक उन्नत थे (उनका आध्यात्मिक स्तर ५० % था) । उन्नत वे होते हैं, जो सन्त अर्थात आत्मज्ञानी नहीं होते; परन्तु उनकी साधना प्रगल्भ होती है । मैंने उनके विषयमें पूछा तो उनके एक शिष्यने कहा, “वे अमुक-अमुकके (गुरुका नाम गुप्त रखना चाहती हूं) गुरुके शिष्य थे…..
अद्वैतावस्थाको प्राप्त शिष्यके लिए भी द्वैत भावमें स्थित होनेपर अपने सद्गुरुका वियोग, इस ब्रह्माण्डका सबसे बडा दुःख होता है और अपने श्रीगुरुका सान्निध्य, सबसे बडा सुख होता है !
माता-पिताके साथ हमारा सम्बन्ध पाप-पुण्य अनुरूप होता है, वहीं गुरुके साथ हमारा सम्बन्ध अनेक जन्मोंके सत्कर्म एवं ईश्वरप्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयासके कारण होता है । जब हमारे मुमुक्षुत्व एवं ईश्वरके प्रति भाव अपनी चरम सीमापर पहुंच जाती है तो खरे अर्थोंमें गुरुप्राप्ति होती है….
एक व्यक्तिने पूछा है कि आप अपने गुरुके एक ही प्रकारके सुवचनको बार-बार क्यों साझा करती हैं ? हमारे श्रीगुरुके अमृतवचनोंमें, राष्ट्र, धर्म व अध्यात्मके वे महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं, जिसे सभी हिन्दुओंको सदैव स्मरण रहना ही चाहिए । जैसे गणितके सूत्र स्मरण रखनेसे उस विषयके प्रश्नोंको सरलतासे हल किया जा सकता है, वैसे ही हमारे […]
धर्मप्रसारके मध्य एक सन्तके आश्रममें मेरा कभी-कभी जाना होता था । उस आश्रमके सन्तने देह-त्याग पूर्व ही एक फलकमें लिखवा दिया था कि उन्होंने किसीको उत्तराधिकारी नहीं घोषित किया था । मेरे मनमें प्रश्न निर्माण होता था कि उनके और उनके गुरुके सहस्रों भक्तोंमें क्या कोई नहीं था, जिन्हें वे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सकें […]
गुरुके आश्रमका तो कुत्ता भी पूजनीय होता है !, इसलिए गुरुके आश्रममें आश्रय मिलना ही बहुत बडा सौभग्य है, आपसे सेवाके मध्य कौन सी चूक हो रही थी, इसका अभ्यास करें और स्वयंमें आवश्यक सुधार करें…
कुछ गुरुभक्त हमसे सूक्ष्म इन्द्रियोंकी प्रक्रिया सीखनेकी इच्छा दर्शाते हैं, यदि आपको ज्ञात है कि आपके गुरु आत्मज्ञानी हैं तो आप उनकी बताई साधना करें, आपकी सूक्ष्म इन्द्रियां स्वतः ही जागृत हो जाएंगी और यदि वह नहीं हो रही है तो आपके प्रयासोंमें कमी है; अतः उसे बढाएं । कोई भी सक्षम गुरु अपने शिष्यकी […]
लो आ गई पुन: गुरुपूर्णिमा । छा गई सर्वत्र श्रीगुरुकी अरुणिमा । । सखी री, मन मयूर करने लगा नृत्य । सोच हमारे परात्पर श्रीगुरुकी महिमा ।। करने हमारे श्रीगुरुका गुणगान । जन्म ले रहीं हैं दिव्यात्माएं महान ।। अल्पायुसे दे रहे अपनी साधनाका अभिज्ञान । करेंगे सम्पूर्ण ब्रह्माण्डमें ये धर्मका अधिष्ठान । ‘सनातन’ बन […]
साधको, गर्व करो अपने सौभाग्यपर आओ गाएं गीत इस पूनम (गुरुपूर्णिमा) इठलाएं अपने इस अहोभाग्यपर ।।१।। बिन जोग-जतनके पाए जिन्हें । वे हैं साक्षात् जनार्दन । अवतरित हुए इस धरा-धामपर । करने दुर्जनोंका मर्दन ।।२।। न साम्प्रदायिक टीका न गेरुआ चोला । न किया तप न गए वन । न ही करते वे स्थूल भजन […]
गुरुपूर्णिमामें मात्र १५ दिवस ही शेष रह गए है; अतः सभी गुरुभक्त गुरुपूर्णिमा महोत्सवमें ‘समष्टि सेवा’ निर्विघ्न हो पाए, इस हेतु अभीसे प्रार्थना आरम्भ करें ! ध्यान रहे, यह काल सभी गुरुभक्तों और साधकोंके लिए कठिन काल है, सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियां भक्तोंकी साधनामें अडचनें निर्माण करने हेतु नित्य नूतन अडचनें निर्माण करनेका प्रयास करती […]