अध्यात्म एवं साधना

हमारी संस्था ‘उपासना’ का सदस्य कैसे बन सकते हैं उसकी प्रक्रिया क्या है ?


एक बार मैंने अपने श्रीगुरु परम पूज्य डॉ. जयंत आठवले से पूछा था कि उनके द्वारा स्थापित ‘सनातन संस्था’ में जुड़ने हेतु क्या करना होगा जब समाज के लोग ऐसा पूछते हैं तो उन्हें क्या बताऊँ ? उन्होंने सहजतासे कहा ” जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा से वैदिक सनातन धर्म अनुसार आचरण करता है और […]

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धनके त्यागके बारे में योग्य दृष्टिकोण


लक्ष्मीकी कृपा हमारे घर एवं कुलपर सदैव रहे ऐसी हमारी इच्छा है, तो अपनी आयका दशांश ईश्वरीय कार्यमें प्रतिमाह अवश्य अर्पण करना चाहिए | इससे पितर और अनिष्ट शक्तिद्वारा होनेवाली धनहानिसे हम सरलतासे बच सकते हैं, साथ ही घरमें रोग और शोकके प्रमाण घट जाते हैं | खरे संत परमेश्वरके सगुण रूप होते हैं | […]

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वानप्रस्थियोंने मृत्यु उपरांतकी तैयारी हेतु साधना अवश्य ही करनी चाहिए !


पचास के पश्चात एकावन आता है अर्थात गृहस्थ धर्म के उत्तरदायित्व को पूर्णकर अपने जीवन के मूल उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील होना, ऐसा हमारा धर्मशास्त्र कहता है , और प्राचीन काल में राजा अपने पूर्ण राज-पाठ योग्य उत्तराधिकारी को सौंप कर वन की ओर चले जाते हैं परंतु आज के गृहस्थ सेवा निवृत्त होने […]

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साधककी परिभाषा


कुछ गृहस्थोंको लगता है कि मैं प्रतिदिन तीन माला या नौ माला जप करता हूं; अतः मैं साधक हूं । इस भ्रमको दूर करने हेतु साधककी आज परिभाषा जान लेना आवश्यक है । जो गृहस्थ हैं, वे तभी साधक कहलाने योग्य होते हैंं, जब उनका प्रतिदिन आठसे दस घण्टे नियमित अजपा-जप चलता हो तथा जो प्रतिदिन […]

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सूक्ष्म संबंधी ज्ञानसे अनभिज्ञ हैं, आजके अधिकांश अध्यात्मविद !


अनेक अध्यात्मविदों समष्टि साधना करनेवालोंको सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंद्वारा होनेवाले कष्टके बारेमें बतानेपर वे या तो इसे स्वीकार नहीं करते या कुछ हास्यास्पद उपाय बताते हैं जिसे सुनकर यह भान होता है कि आज ९०% अध्यात्मविदोंको सूक्ष्म जगत संबंधी ज्ञान नहीं है या अत्यल्प है ! यह बतानेमें मुझे तनिक भी संकोच नहीं कि ऐसे […]

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मनकी शुद्धि


शरीरकी शुद्धि मिट्टी, जल, उबटन, साबुन इत्यादिसे स्नान करनेपर हो जाता है; परंतु मनकी शुद्धि हेतु कोई बाह्य साधन प्रभावकारी नहीं होता क्योंकि मन सूक्ष्म होता है और विचारोंका पुंज होता है । सूक्ष्म मनको नियंत्रित (स्वच्छ)  करने हेतु सूक्ष्म स्तरके मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रयास करने पडते है । मानसिक स्तरपर अपने स्वभावदोषोंको दूर करने […]

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मन एव मनुष्यानां कारण बंध मोक्ष्यो:


हमारे शास्त्रोंमें कहा गया है – ‘मन एव मनुष्यानां कारण बंध मोक्ष्यो: ’ अर्थात् हमारा मन ही बंधन एवं मोक्षका कारण है, अतः मनका अभ्यास अध्यात्ममें आगे जाने हेतु करना आवश्यक है । मनका अभ्यास जितना सूक्ष्म होगा, बुद्धि द्वारा हम अपने मन को उतनी ही सरलता से नियंत्रित कर सकते हैं अतः मनका अभ्यास […]

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अध्यात्ममें शीघ्र प्रगति


श्रवण भक्तिके माध्यमसे अध्यात्ममें प्रगति करनेमें बहुत समय लग जाता है । यदि अध्यात्ममें शीघ्र प्रगति करनी है, तो सत्संगमें बताये जानेवाले विषयको कृतिमें लाकर आत्मसात करनेका प्रयास करना चाहिए -तनुजा ठाकुर

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सृष्टिके प्रत्येक जीवसे प्रेम करना परम आवश्यक है !


मांके मनको जीतनेके लिए उनके बच्चेसे प्रेम करना पडता है, वैसे ही परमेश्वरका मन जीतनेके लिए उनकेद्वारा रचित इस सृष्टिके प्रत्येक जीवसे प्रेम करना परम आवश्यक है -तनुजा ठाकुर  

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साधना किसे कहते हैं ?


ईश्वरप्राप्ति या आनंदप्राप्ति या आध्यात्मिक प्रगति हेतु प्रतिदिन जो भी हम तन, मन, धन, बुद्धि या कौशल्यसे प्रयास करते हैं, उसे साधना कहते हैं । साधनाके अनेक मार्ग हैं, जैसे कर्मयोग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग, भक्तियोग, राजयोग, शक्तिपातयोग, कुंडलिनियोग, भावयोग, क्रियायोग, गुरुकृपायोग इत्यादि । यह हिन्दु धर्मकी विशेषता है; और धर्मके मूलभूत सिद्धान्त भी, जो स्पष्ट रूपसे […]

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