जब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था तब गोप -गोपियाँ यह देख तालियाँ नहीं बजा रहे थे वरन सब अपनी अपनी लाठीयां लगा अपना योगदान देना चाहते थे ! उन्हें पता थे भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत उठाने में सक्षम हैं परंतु वे इस ईश्वरीय कार्य में अपनी क्षमता अनुसार योगदान देना चाहते थे ! […]
आधुनिकीकरण और पाश्चात्यकरणकी अन्धी दौडमें लिप्त आजका यह हिन्दू समाज, पाश्चात्योंके आधारहीन दिवस जैसे ‘फ्रेण्डशिप डे’, ‘रोज डे’, ‘वेलेनटाइन डे’, ‘फूल्स डे’ इत्यादि मनाता हैं; किन्तु गुरुपूर्णिमा…..
आजकल कुछ माताएं दोसे चार वर्षके बच्चोंको फिल्मी गाने सुनाकर भोजन कराती हैं और यह बात वे बडे गर्वसे सबसे कहती हैं कि मेरा चार वर्षका बालक फलाने फिल्मी नायिकाके गानेमें रुचि लेता है, आजके फिल्मी गीत देखकर तो वैश्या भी लज्जित हो जाये, ऐसे संस्कार बालमनपर डालनेसे छोटी आयुमें ही बच्चेकी वासना जागृत हो […]
देवालय (मंदिर ) में देव दर्शन के पश्चात मंदिर की या गर्भगृह की प्रदक्षिणा करें और उस समय यह प्रार्थना करें , यदि यह संभव न हो तो खड़े होकर तीन बार स्वयंअपनी चारो ओर प्रदक्षिणा कर यह प्रार्थना बोलें ! यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च । […]
पाश्चात्यकरणकी अंधी दौडमें आजकल अधिकांश पुरुष स्त्रियोंको ‘मैडम’ (madam ) संबोधित करते हैं यहां तक की यदि कोई आध्यात्मिक स्त्री हो तो उन्हें भी ‘मैडम’ ही कहते हैं तो आपको आज एक तथ्य बताती हूं, मैडमका प्रयोग वैश्यालय चलानेवाली स्त्रियोंके मूलतः किया जाता था यदि आपको मेरी इस बातपर विश्वास न हो तो अंगलभाषाके शब्दकोशके […]
हिंदुओं “फेंग सुई” एक मायावी और आसुरी वास्तु शुद्धिकी पद्धति है, इससे बचें ! इससे सरल उपाय है तुलसी लगाएं, गौमूत्र छिडकें और साधना करें ! चीनकी कोई वस्तु आज तक सात्त्विक और टिकाऊ रही है जो सांप, बिच्छू, तिलचट्टा(कॉकरोच), कीडे-मकौडे जैसी सारी अशुद्ध वस्तु खाते हैं, उनकी विद्या शुद्ध कैसे हो सकती है ? […]
परस्त्री को मां के रूप में न देखकर उसे भोग्या समझने वाले प्रत्येक पृरुष को अनिष्ट शक्ति का तीव्र कष्ट होता है और लज्जा स्त्री का नैसर्गिक गुण होने के कारण अंग प्रदर्शन करनेवाली स्त्री और उन्हें ऐसे करने के लिए उद्युक्त करनेवाले पुरुष अनिष्ट शक्ति से पीड़ित होते हैं ! अनिष्ट शक्ति से पीड़ित […]
अधर्म चाहे वह इस जन्म का हो या पिछले किसी भी जन्मका, वह ही हमारे अधिकांश दुःखोंका कारण है; अतः उन दुःखोंके निराकरण हेतु धर्माचरण और योग्य साधना करें ! एक सरल सा समीकरण जान लें, जितना अधिक आप वैदिक सनातन धर्मसे दूर जाएंगे, उतना अधिक आपका जीवन क्लेशप्रद होगा और जितनी अधिक आप योग्य […]
दुर्जनोंके साथ कैसा वर्तन करना चाहिए मेरे इस लेखके बारेमें एक व्यक्तिने प्रतिक्रिया दी है – ‘क्षमा वीरस्य आभूषणं’ | तो क्षमाके बारेमें योग्य दृष्टिकोण जान लें – व्यष्टि स्तरपर यदि कोई आपका कोई मानसिक स्तरपर आघात करे या वाणीद्वारा आपका तिरस्कार करे तो आपने उसे अवश्य ही क्षमा करना चाहिए; परंतु यदि समष्टि स्तरपर […]
हिंदुत्त्व्वादी आध्यात्मिक संस्थाओं एवं हिन्दू धर्मगुरुओंपर लांछन लगाकर उन्हें प्रताडित करते समय उनके विरुद्ध होनेवाले षड्यंत्रोंके विरोधमें जो भी मुखर होकर विरोध नहीं करते ऐसे सभी हिंदुत्त्वनिष्ठ राजनतिक पक्ष, संस्था एवं व्यक्ति सभी ‘तथाकथित हिंदुत्त्वादी’ होते हैं उनसे सभी ‘कर्म हिन्दू’ सावधान रहे, वे बिन पेंदेके लोटे समान अवसरवादी होते हैं ! जब उन्हें हमारी […]