धर्म

धर्मधारा


श्री. अजय जैन नामक पाठकने मेरे लेखोंको पढनेपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि आप हिन्दू धर्मका प्रसार (प्रोत्साहन) देनेके स्थानपर मनुष्य बननेकी सीख क्यों नहीं देती हैं ?…..

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हिन्दू धर्मके ज्ञानकी अगाधता 


परम पूज्य डॉ. काटे स्वामीजीने कहा है कि सनातन धर्मके ज्ञानकी एक बून्द, हमें ईश्वर प्राप्ति करवानेका सामर्थ्य रखती है; इससे ही इस धर्मके ज्ञानकी अगाधताका परिचय मिलता है । कुछ पन्थोंका ज्ञान एक ग्रन्थ और एक साधना पद्धतितक ही सीमित है, भला हो भी क्यों नहीं ?, उनका अध्यात्मशास्त्र अभी भी अत्यन्त अविकसित अवस्थामें जो […]

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धर्मधारा


कुछ दिवस पूर्व मैं विमानतलपर (एअरपोर्टपर) एक सेवाके उच्च पदस्थ अधिकारीसे मिली । उनकी पत्नीसे बातचीतके क्रममें ज्ञात हुआ कि उनका स्थानान्तरण कश्मीर हुआ है और जहां उनकी नियुक्ति हुई है वह अत्यन्त संवेदनशील क्षेत्र है । उनकी दो वर्षकी बिटिया थी । मैंने उनसे पूछा, “कश्मीरमें नियुक्ति हुई है तो आपको कैसा लग रहा […]

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कुछ समय पूर्व हिन्दू धर्मका त्याग करनेवाले अहिन्दू ही आज हिन्दुओंके बन गए हैं सबसे बडे शत्रु


आज अधिकांश मुसलमान या ईसाई जो भारतीय हैं, उनके पूर्वज छल, बल, लोभ, भय या अन्य किसी परिस्थितिवश धर्मान्तरित हुए । वास्तविकता यह है कि ऐसे सभी व्यक्तियोंमें धर्माभिमानका अभाव था..

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हिन्दू बहुल राष्ट्रकी विडम्बना


कुछ माह पूर्व मैं दुबई गई थी, वहां विमानतलपर (हवाई अड्डेपर) उतरते ही ‘अजान’ने मेरा स्वागत किया ! जब विगत वर्ष बैंकॉकके विमानतलपर थी तो भगवान विष्णु एवं समुद्र मन्थनका लुभावना दृश्य दिखाई दिया । मात्र जब भारत देश, जहां ९५ करोडसे अधिक हिन्दू रहते हैं, वहां हिन्दू धर्म सम्बन्धी कुछ भी दृश्य दिखाई नहीं […]

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राजा कालस्य कारणं (राजा ही कालका कारण होता है )


राजा दुर्जन होता है तो प्रजा भी राजा समान अयोग्य आचरण करती है और काल भी कलियुग कहलाता है ! राजा सात्त्विक और धर्माचरणी हो तो काल, सतयुग कहलता है ।

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पांच पौराणिक पात्र जो रामायण और महाभारत, दोनों समय थे उपस्थित !


१. हनुमान रामायणमें प्रमुख भूमिका निभानेवाले श्रीराम भक्त हनुमान महाभारतमें महाबली भीमसे पाण्डवोंके वनवासके समय मिले थे। कुछ स्थानोंपरतो यह भी कहा गया है कि भीम और हनुमान दोनों भाई हैं; क्योंकि भीम और हनुमान दोनी ही पवन देवके पुत्र थे। २. परशुराम अपने समयके महातेजस्वी ब्रह्मर्षि परशुरामको कौन नहीं जानता ?उन्होंने२१बार पृथ्वीकी परिक्रमा कर […]

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पुरोहित बनने हेतु क्या करना चाहिए ?


जन्म ब्राह्मणोंसे सम्बन्धित मेरे कुछ लेखोंको पढनेके पश्चात एक परिचित जन्म-ब्राह्मणने हमसे पुरोहित बननेकी इच्छासे पूछा है कि क्या पुरोहिताईकी कोई पुस्तक होती है ? क्या मैं उसे पढकर पुरोहित बन सकता हूं ?, इस प्रश्नका उत्तर इसप्रकार है – पुरोहित बनने हेतु मात्र कर्मकाण्डके ग्रन्थ पढना पर्याप्त नहीं होता; चूंकि वह कोई चाकरी नहीं, […]

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अधिकांश वर्ण ब्राह्मणोंद्वारा सत्य बतानेकी प्रवृत्ति नहीं रहनेके कारण ही हुई है, धर्म और राष्ट्रकी है यह दुर्दशा


जबसे वर्ण ब्राह्मणोंने समाजमें व्याप्त अधर्मके विषयमें मुखर होकर सत्य बतानेका कार्य छोड दिया है तबसे यह हिन्दू समाज अनियन्त्रित घोडे समान दिशाहीन होकर भटकने लगा है…..

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सत्त्व, रज और तमसे अनभिज्ञ बुद्धिजीवी लोगोंके दोषपूर्ण दृष्टिकोण


कुछ दिवस पूर्व, पटनासे आते समय मैं रेलयानमें एक उच्च पदस्थ सेवानिवृत्त व्यक्तिसे मिली । उन्होंने भोजनमें मांसाहारका आदेश दिया । भोजनमें होनेवाले मिलावटके विषयमें हम कुछ वार्तालाप कर रहे थे, बात ही बातमें उन्होंने कहा, “मैं इसलिए बाहर जब भी मांसाहर करता हूं तो अंडा और मुर्गा(चिकेन) लेता हूं; क्योंकि मांसमें वह किसका मांस […]

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