एक बातका ध्यान रहे हम गुरुको धारण नहीं करते गुरु हमें धारण करते हैं !!!


कुछ मित्रोंके पत्र एवं संभाषणसे भान हुआ कि वे भीड देख किसीको गुरु बना लेते है और जब उनके गुरु न ही उनके शंकाका समाधान कर पाते हैं और न ही आनंदकी अनुभूति दे पाते हैं तो वे अन्य संतोंके आस-पास मंडराने लगते हैं और उनसे वैयक्तिक प्रश्न यह बोलकर पूछते हैं कि मैं सभी संतोंमें गुरु रूप देखता हूं इसलिए यह प्रश्न आपसे पूछ रहा हूं !! परंतु मेरे गुरु फलां-फलां है !! जो गुरु आपके शंकाओंका समाधान नहीं कर सकते वे गुरु कैसे हो सकते हैं ? और एक बातका ध्यान रहे हम गुरुको धारण नहीं करते गुरु हमें धारण करते हैं अतः भीड देख किसीको गुरु न बनाएँ ! ढोंग करनेसे और ढोंगीसे बचें और अपने साधकत्वको बढायें !-तनुजा ठाकुर



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