सूक्ष्म जगत

सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ७)


सूक्ष्म इन्द्रियोंके जागृत होनेसे हमें लोगोंका अभिज्ञान (पहचान) करना सरल हो जाता है | सूक्ष्म इन्द्रियोंके माध्यमसे कौन सा व्यक्ति सात्त्विक है या राजसिक या तामसिक है, यह भी हम समझ सकते हैं | तामसिक व्यक्ति स्वार्थी होता है और उससे हमें हानि हो सकती है; अतः उनसे दूरी बनाये रखना चाहिए | तामसिक व्यक्तिका […]

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सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ६)


पिछले एक वर्षसे वैदिक उपासना पीठके साधक देहलीमें धर्मप्रसार हेतु भिन्न स्थानोंपर जाया करते थे ।  प्रसारके मध्य उन्हें यह ज्ञात हुआ कि अनेक गृहस्थके पुत्रको मानसिक रोग है; इससे उनकी माताएं बहुत व्यथित रहती थीं, वहीं पुत्रके पिताको इससे कुछ विशेष प्रभाव नहीं पडता था ।  वे सबकुछ तटस्थ होकर देखते थे और अपनी […]

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सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ५)


आनेवाला काल प्रलयंकारी है, तब चारो ओर ‘त्राहि माम्’ मची होगी, एक दूसरेसे सम्पर्क करने हेतु ये सब मायावी अदुनिक वैज्ञानिक साधन (चलभाष, स्काइप, व्हाट्सएप, इ-मेल, टीवी चैनल) कहीं विश्व-युद्धके कारण तो कहीं गृह-युद्धके कारण तो कहीं प्राकृतिक…..

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सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ४)


कलियुगमें अदृश्य आसुरी शक्तियोंका प्रकोप सदैव ही रहनेवाला है ।  उन शक्तियोंसे रक्षण हेतु स्वयं ही सतर्क होकर सर्व प्रयास करने पडेंगे ।  ऐसी अनिष्ट शक्तियां नित्य नूतन युक्तियां विकसित कर साधकोंके मार्गमें अवरोध निर्माण किया करेंगी….

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सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ३)


ख्रिस्ताब्द २०२५ तक भारत एक सशक्त हिन्दू राष्ट्रके रूपमें स्थापित हो चुका होगा ।  हिन्दू राष्ट्रमें कार्य करने हेतु अनेक दिव्यात्माएं पृथ्वीपर शरीर धारण कर पधार रही हैं; किन्तु मन तब क्रंदन करता है, जब आजके कलियुगी माता-पिता अपने ऐसे बच्चोंको योग्य प्रकारसे लालन-पालनतक नहीं कर पाते हैं ।  स्वयं तो तमोगुणी ढर्रेमें रहते ही […]

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सूक्ष्म जगत


समष्टि हितार्थ कार्य करनेका संकल्प लेते ही सूक्ष्म जगतकी अनिष्ट शक्तियोंने किया प्राणघातक आक्रमण और इसी क्रममें जागृत हुईं मेरी सूक्ष्म इन्द्रियां जैसा कि आपको पूर्वके अंकमें बता चुकी हूं कि इस शीर्षकसे सम्बन्धित लेखमालाको प्रस्तुत करनेके पीछे मेरा विशुद्ध हेतु यह है कि समाजकी सूक्ष्म जगतसे सम्बन्धित कुछ अज्ञानता दूर हो पाए तथा समाज […]

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जब शिवजीने मेरे मानस नमस्कारको स्वीकर कर किए अपने दर्शनकी व्यवस्था


२ अप्रैल २०१२ को देवघर, झारखण्डमें बासुकीनाथ शिवके देवालयके (मन्दिरके) प्रांगणमें एक बाल साधकका उपनयन संस्कार था, मैं उसी दिवस देहलीसे जसीडीह पहुंचकर अपने मूल ग्राम जानेवाले थी; अतः एक साधकके आग्रहपर वहांसे कुछ दूरीपर स्थित एक सुप्रसिद्ध देवालयमें होनेवाले उपनयन समारोहमें सहभागी होने हेतु गई थी । उपनयन संस्कारके पश्चात् सोचा कभी यहां नहीं […]

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प्रथम सत्संगमें श्रीगुरुने एक साधकके माध्यमसे दी जागृत समाधिकी अनुभूति


मैं जुलाई १९९४ से ही नियमित ध्यानकी साधना करने लगी थी और इसी मध्य मुझे निर्विचार अवस्थाकी कुछ काल तक अनुभूति भी होती है; किन्तु मैं उस अवस्थामें अधिकसे अधिक समय रहना चाहती थी, जो सम्भव नहीं हो पा रहा था और इसकी मुझे अत्यधिक ग्लानि होती थी; तब भी उस अवस्थाकी कालावधिको बढाने हेतु […]

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अपने साक्षात्कारसे पूर्व श्रीगुरुने अपने लेखनद्वारा दी अपनी आध्यात्मिक सामर्थ्यकी प्रतीति


मुम्बईमें दिसम्बर १९९६ में एक दिवस जब मैं अपने कार्यालयसे अपने एक निकट सम्बन्धी संग लौट रही थी, तब अकस्मात् वर्षा होने लगी । हम वर्षासे छुपनेके लिए  एक देवालयमें (मंदिरमें) चले गए, वहां मैंने एक फलक(बैनर) देखा, वह ‘सनातन संस्था’का फलक था, जिसमें उस देवालयमें होनेवाले सत्संगकी जानकारी थी; परन्तु उस फलकमें जो लिखा […]

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सूक्ष्म जगत


श्रीगुरुने सूक्ष्मसे दिए हमारे दिव्य सम्बन्धकी प्रतीति आजके इस शुभ दिवससे सूक्ष्म जगतसे सम्बन्धित लेख श्रृंखलाका ‘जागृत भव’ गुटमें शुभारम्भ करने जा रही हूं, आजका दिन हमारे लिए अत्यन्त शुभ है; क्योंकि आज हमारे श्रीगुरुके श्रीगुरु भक्तराज महाराजके उत्तराधिकारी सन्त-शिष्य रामानन्द महाराजकी जयन्ती है, उनकी कृपा और प्रेमका सान्निध्य मुझ निकृष्टको भी कुछ काल प्राप्त […]

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