सूक्ष्म जगत

एक व्यक्तिने कहा आप अपनी सूक्ष्म संबंधी अनुभूतिसे अपनी सिद्धियोंका प्रदर्शन करना चाहती हैं ?


  अपनी अनुभूतियोंके माध्यमसे सिद्धिका प्रदर्शन क्यों करूंगी, मैं तो मात्र सभी हिंदुओंको यह बताना चाहती हूं कि सूक्ष्म जगतको समझें | ये सारी बातें तो हमारी सनातन संस्कृतिका अविभाज्य अंग रही हैं | जैसे पुत्रका किसी अन्य ग्राममें दुर्घटना हो जाये तो मांको उसका आभास हो जाना, किसीकी घटनाकी पूर्वसूचना हो जाना, जिसका स्मरण […]

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मेरे पास कोई सिद्धि नहीं है मैं तो एक सामान्य सी गुरुभक्त हूं |


 एक व्यक्तिका पत्र आया है कि आपने सजीव (वनस्पति जगत) और निर्जीव जगतसे या सूक्ष्म जगतकी शक्तियोंसे सम्भाषण करने हेतु कौनसी सिद्धि प्राप्त की है ? उन्होंने सम्भवतः मेरे जालस्थलपर सूक्ष्म जगतसे सम्बन्धित मेरे लेख पढे होंगे !        मेरे पास कोई सिद्धि नहीं है मैं तो एक सामान्य सी गुरुभक्त और इस […]

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सनातन धर्मका मुख्य मूलबिंदु उसका सूक्ष्म पक्ष है |


सनातन धर्मका मुख्य मूलबिंदु उसका सूक्ष्म पक्ष है परंतु योग्य साधनाके अभावमें सामान्य हिन्दू ही नहीं कई सन्यास वेश धारण किए हुए सन्यासी भी उसके सूक्ष्म पक्षसे अनभिज्ञ हैं | शबरीको शाबर विद्याका ज्ञान था जिस कारण वह सहज ही पशु-पक्षीसे बातें कर सकती थी ऐसा हमारे धर्मग्रन्थोंमें उल्लेख है, देवासुर संग्राममें प्रयोग हुए भिन्न […]

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अनिष्ट शक्तियोंके कारण किस प्रकारके कष्ट हो सकते हैं ?


अवसाद (डिप्रेशन), आत्महत्याके विचार आना, अत्यधिक क्रोध आना और उस आवेशमें अपना आपा पूर्ण रूपसे खो देना, मनमें सदैव वासनाके विचार आना, नींद न आना, अत्यधिक नींद आना, शरीरके किसी भागमें वेदना होना और औषधिद्वारा उस वेदनाका ठीक न हो पाना, मनका अत्यधिक अशांत रहना, व्यवसायमें सदैव हानि होना, परीक्षाके समय सदैव कुछ न कुछ […]

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कुछ अनुभूतियां पारलौकिक जगत की


सितम्बर २००५ में मैं भुवनेश्वर के पुस्तक मेले में श्री गुरु के लिखे ग्रन्थों की ग्रंथ प्रदर्शिनी में सेवा हेतु गयी थी | पुस्तक मेला के पश्चात एक साधक दीदी और मैं पुरी पहुंची जगन्नाथ जी के दर्शन करने | बस स्थानक पर पहुँचने पर एक पंडे ने बोला “मंदिर तो अब बंद हो गया […]

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सूक्ष्म जगत – पौधोंसे सम्बन्धित कुछ अनुभूतियां


इस कडीमें मैं पौधोंसे सम्बन्धित अपनी कुछ अनुभूतियोंके प्रथम भागको  साझाकर रही हूं  जो सत्य हैं; किन्तु आश्चर्यजनक भी हैं  मैं  ख्रिस्ताब्द २००८ से २०१० तक  झारखण्ड  स्थित अपने पिताके पैतृक ग्राममें एकान्तवास कर रही थी | मुझे प्रकृतिसे अत्यधिक प्रेम है; अतः फूल-पौधे  भी अत्यधिक प्रिय है | १६.१०.२००९के दिवस अपने आंगनके गमलेमें एक […]

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मनोरोग विशेषज्ञोंको भी अध्यात्म सिखानेकी आवश्यकता है


समाजमें अनिष्ट शक्तिके कष्टसे संबन्धित कितनी अनभिज्ञता है – इस संदर्भमें उपासनाके आध्यात्मिक उपाय एवं मार्गदर्शन केन्द्रमें आई एक स्त्रीके तथ्योंसे ज्ञात होगा | उन स्त्रीको पिछले सत्रह वर्षोंसे अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट था, उनके माता-पिताजीने पहले कुछ आध्यात्मिक उपाय किए उसमें सफलता न मिलनेपर वे उन्हें मनोरोग विशेषज्ञके पास ले जाने लगे और दस वर्षोंसे […]

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मन्दिरोंमें देवी रूपमें प्रकट होनेवाली शक्तियां अधिकांशत (९९%) अनिष्ट शक्तियां ही होती हैं !


हमारे पैतृक ग्रामके काली मन्दिरमें मेरे आरती प्रारम्भ करनेके दो वर्ष पश्चात् एक स्त्रीमें और एक पुरुषमें ‘काली माता’का संचार होने लगा । जब यह समाचार मुझे ज्ञात हुआ तो उस समयतक मैं देहलीमें स्थानांतरित हो चुकी थी । गांवके कुछ साधकोंद्वारा ज्ञात हुआ कि जब उनमें उस शक्तिका संचार होता है तो वे आरती […]

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मेरे छायाचित्रका गुलाबी होना


१९ फरवरी २०१५ को मैं आश्रमके एक कक्षमें जिसमें पुरुष साधक रहते हैं, वहां किसी व्यक्तिसे भ्रमणध्वनिसे बात कर रही थी कि अनायास वहींपर पटनासे आए एक साधकद्वारा रखे गए मेरे एक छायाचित्रपर मेरा कुछ क्षणोंके लिए ध्यान गया, मैं उस व्यक्तिसे बात करनेमें व्यस्त थी; परन्तु तब भी मुझे उस छायाचित्रके स्पंदन कुछ भिन्न […]

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धर्मकार्य करते समय अनिष्ट शक्तियोंद्वारा हुए आक्रमण


आज जैसे ही हमने अपने ग्रन्थ ‘धर्मधारा’के संकलनको अंतिम प्रारूप देना आरम्भ किया उसके आधे घंटे पश्चातसे ही अर्थात् संध्या पांच बजेसे मेरे पैरमें सर्वप्रथम असह्य वेदना आरम्भ हुई और आधे घंटे पश्चात् पैरके तलवेमें बिना कारण पैरके जलन आरम्भ हो गया, अचानक देखा तो पाया कि वह लाल हो गया है जैसे किसीने उसे […]

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