एक सतशिष्यके जीवनमें सद्गुरुके प्रवेश


Guru_Shishya

एक सतशिष्यके जीवनमें सद्गुरुके प्रवेशके पश्चात उसके सर्व कृति सद्गुरुकी इच्छासे ही ही होता है | इस विचारका अनुसरण कर सर्व कर्म करनेवाले सतशिष्यके ऊपर किसी भी प्रकारका कर्मफल लागू नहीं होता और न ही उससे कोई अयोग्य कृति होती है ! ऐसा शिष्य खरे अर्थमें कर्मयोगी होता है |-तनुजा ठाकुर

 



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