अध्यात्म

जो मात्र परमार्थका विचार करे वे ही सन्त कहलानेके अधिकारी होते हैं !


कुछ दिवस पूर्व मैं परशुराम जन्मस्थलीके महन्त परम पूज्य बद्री बाबाके निवास स्थानपर गई थी, जिसे वे ‘कुटिया’ कहते हैं । वह सचमें कुटिया ही है; क्योंकि उसमें मात्र जीवनके लिए उपयोगी अति आवश्यक वस्तुएं ही हैं । वे खरे अर्थोंमें एक त्यागी व्यष्टि सन्त हैं । उस कुटियामें दो कक्ष नीचे हैं और एक […]

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आपात्कालमें ईश्वर ही हमारा रक्षणकर सकते हैं ! 


आप सब देख ही रहे होंगे कि पिछले तीन-चार वर्षोंसे प्रकृति भी अपना कोप भिन्न माध्यमोंसे प्रकटकर रही है, कभी भयंकर  सूखा तो कहीं बाढ तो कभी ऋतु विपरीत ओलावृष्टि ! पूरे विश्वमें अनेक स्थानोंपर मानव निर्मित एवं प्राकृतिक अग्निकाण्डमें भी अत्यधिक वृद्धि हुई है ! अब टिड्डेका दल पाकिस्तानसे भारत आने लगा है ! […]

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सरलता सन्तोंकी विशेषता होती है !


मैंने आपको बताया था कि परशुराम जन्म स्थलीके महन्त परम पूज्य बद्री बाबाकी आयु १०४ वर्षके लगभग है किन्तु वे पूर्णत: स्वस्थ हैं ।  चार दिवस पूर्व वे अकस्मात उपासनाके आश्रममें मध्याह्न दो बजे आए ।  मुझे एक साधिकाने बताई तो मुझे बहुत आनन्द हुआ ! यह भी सन्तोंकी एक विशेष कृपा व सौभाग्य  उपासनाको […]

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सन्तोंकी इच्छा शक्ति !


     इंदौरके मानपुर क्षेत्रमें परशुराम जन्मस्थलीके महन्त परम पूज्य बद्री बाबासे कुछ समय पूर्व परिचय हुआ है । उनका हमें आशीर्वाद और स्नेह दोनों ही सतत मिल रहा है । उनकी आयु १०३ या १०४ वर्षकी है । परसों वे उपासनाके आश्रम आए थे तो उन्होंने बात ही बातमें कहा कि और अब मेरी […]

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आश्रममें महाप्रसाद बनाते समय इन बातोंका ध्यान रखना चाहिए !


आश्रममें महाप्रसाद बनाते समय किन बातोंका ध्यान रखना चाहिए, वह बताती हूं । उपासनाका आश्रम अन्य पारंपरिक आश्रमों समान गृहस्थोंद्वारा दिए गए भिक्षासे ही चलता है इसलिए यहां महाप्रसाद बनाते समय …..

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भ्रूण हत्या महापाप है, इसलिए ऐसा न करें !


जैसे आजकल पुत्र अपने माता-पिता व या पुत्रवधू अपने सास ससुरके साथ अयोग्य वर्तन करते हैं, वैसे ही मैंने अनेक माता-पिता या सास ससुरको भी अयोग्य आचरण करते हुए पाया है । कुछ घटनाएं तो मेरे समक्ष ही घटित हुई हैं ……

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सूक्ष्मसे हुई अनुभूतिकी स्थूलसे मिलने लगी प्रतीति !


आपको बताया ही था कि उपासनाके मानपुर आश्रमके भूमिपूजनके समय मुझे सूक्ष्मसे परशुराम भगवानके आनेकी अनुभूति हुई थी और उन्होंने कहा था कि वे आश्रम बननेपर वे हमारे पास नीचे रहेंगे । हमारे आश्रमसे सात किलोमीटरपर एक पहाडपर …..

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उपासनाके आश्रमके ध्यान कक्षमें निर्गुण तत्त्व जाग्रत होनेके प्रमाण प्रत्यक्षमें मिलने लगे हैं !


एक दिवस इस वर्षके फरवरी माहमें, मैं जब कक्षमें गई तो भान हुआ कि वहां निर्गुण तत्त्व जाग्रत हो गया है; क्योंकि वहां एक सन्त श्रीचेतनदासबाबा कुछ दिवस रहे थे एवं उनके जानेके कुछ दिवस पश्चात ही यह निर्गुण तत्त्व जाग्रत हुआ ……

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भोजन बनाना व ग्रहण करना यज्ञ कर्म है; इसलिए उसे प्रकाशमें ही करना चाहिए !


मैंने देखा है कि कुछ लोग अन्धेरेमें खाते हैं । हिन्दू धर्ममें भोजन बनाना व ग्रहण करना यज्ञ कर्म होता है; इसलिए उसे प्रकाशमें ही करना चाहिए । भोजनकी सुगन्धसे आस-पासकी अनिष्ट शक्तियां सहज ही आकर्षित हो जाती हैं और वे उसे सूक्ष्मसे ग्रहण करने आती हैं; इसलिए हमारे यहां भोजनको प्रथम ईश्वरको अर्पण करनेका […]

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मां सरस्वतीकी कृपासे प्राप्त वाक्चातुर्यका अपमान करनेसे अगले जन्ममें वाणीसे सम्बन्धित कष्ट होता है !


 आजकल लोगोंके मनोरंजन हेतु दूर्दाशन प्रसार वाहिनियोंपर (टीवी चैनल्सपर) ‘फूहड कॉमेडी’के कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जहां कलाकार उपस्थित व्यक्ति या मंचपर आमन्त्रित व्यक्तिका उपहास करते समय उनके मनको ठेस पहुंचनेवाली बातें कहते हैं । वस्तुत: अध्यात्म व धर्मकी शिक्षा न मिलनेके कारण, ऐसे लोगोंको यह ज्ञात नहीं होता है कि उनके इस वर्तनके कारण उन्हें […]

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