साधकोंकी अनुभूतियां

गोड्डा, झारखण्डकी कुमारी महारानी झांकी अनुभूतियां


१. जब वर्ष २०१० मैं तनुजा मांके साथ जगद्धात्रि पूजामें एक समीपके गांवमें गई और अकेले ही मन्दिरके भीतर जाकर जैसे ही प्रणाम किया वैसे ही वहां जितनी भी मूर्तियां थीं मुझे सभीमें तनुजा मांका प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगा । २. दिनाक २५ जुलाई २०१० में एक दिन हमारे घरमें कोई भी नहीं था और […]

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गोड्डा, झारखण्डकी सुनैना कुमारीकी अनुभूति


पहले मेरा पढनेमें बिलकुल मन नहीं लगता था, परन्तु जबसे मैं काली मंदिरमें ‘उपासना’के सत्संगमें जाने लगी हूं और नामजप करने लगी हूं, तबसे मेरा मन आनन्दी रहने लगा है और पढाईमें मेरा मन लगने लगा हैं । अब सत्संगमें न जाऊ, तो मन अस्वस्थ हो जाता है, और नामजप भी उठते-बैठते होने लगा है […]

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देहलीकी श्रीमती ममता रायकी अनुभूतियां


१. छह अक्टूबर २०१३को मैं देहली आश्रमके सत्संगमें गई जो तनूजा मांने लिया था । सत्संगसे आनेके पश्चात् सम्पूर्ण रात्रि मैंने मांको सिंहपर बैठे हुए पाया और उनके साथ ही मेरे गुरुदेव परम पूज्य मेहीं बाबा भी थे, दोनों ही सत्संग कर रहे थे और मुझे अत्यधिक आनन्द आया, ऐसा लगा कि जैसे मैं सम्पूर्ण […]

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इन्दौर, मध्य प्रदेशके श्री नितिन जोशीकी अनुभूतियां


११ मार्च २०१४ को इंदौरके भक्तवत्सल आश्रमके सन्त परम पूज्य रामानन्द महाराजका देह त्याग हो गया और उनकी महासमाधिमें उपस्थित होने हेतु तनुजा मांका हमारे घर तीन दिवस रहना हुआ।इन तीन दिवसोंमें उनके दिव्य सान्निध्य एवं सेवाका सौभाग्य प्राप्त हुआ और उनकीकृपाके कारण अनेक अनुभूतियां हुईं । प्रस्तुत हैं उनमेंसे दो अनुभूतियां १. १३मार्चकोप्रात: पांच […]

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इन्दौर, मध्य प्रदेशके श्री दिनेश दवेकी अनुभूतियां


* मुझे मंचसे सूत्र संचालनकी सेवा मिली थी। मंचपर जब वक्ता कुछ बोल रहे थे तो मैं पोडियमके पीछे बैठा था। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे कोई पीछेसे धक्का देकर आगे पीछे कर रहा हो। पहले तो यही सोचा कि सम्भवतः अल्पनिद्राके कारण ऐसा हो रहा होगा; किन्तु कार्यक्रममें उपस्थित एक अन्य साधक […]

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देहलीकी श्रीमती अन्तिमा गोएलकी अनुभूति


दीपावलीके दिवस देवघरमें चढाई गई मालाएं, श्वेतसे बैंगनी हो गईं इस वर्ष (२०१६) हमने दीपावलीके दिवस, सन्ध्या समय भगवान श्रीकृष्ण, दत्तात्रेय देवता एवं तनुजा मांके छायाचित्रोंपर मोगरेकी मालाएं अपने पूजाघरमें चढाई थी। वे सभी मालाएं अगले दिवस प्रातःकालसे बैंगनी होनी आरम्भ हो गईं । पितृपक्षके मध्य भी जिस दिवस, मैं पूज्या मांके केशमें गजरा लगाती […]

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कर्णावतीके (अहमदाबादके) श्री मुक्तेश सिंह मनहरकी अनुभूतियां


* आश्रममें जो शांति और अनन्य चैतन्य मिलता है वह शब्दोंमें व्यक्त करना सम्भव नहीं, उसकी प्रत्यक्ष अनुभूति लेनेके लिए साधकोंने उपासनाके आश्रममें आकर कुछ दिवस साधना करनी चाहिए ।जब हम आश्रमसे बाहर निकलते थे तब पता चलता था कि हम रज और तम प्रधान देहलीमें ठहरे हुए है वरना हमें आश्रमके भीतर एक दिव्य […]

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गोड्डा, झारखण्डके श्री सौरव ठाकुरकी अनुभूतियां


* परीक्षासे पहले मैं कुछ दिन आश्रम रहने आया था । एक दिवस कुण्डोंके (गमलोंके) लिए मिट्टी लानेकी सेवा मिली । मैं और एक सहसाधक पास ही मिट्टी लाने गए । सहसाधक खुरपीसे मिट्टी खोद रहे थे और मैं मिट्टी थैलेमें भर रहा था । अनायास मेरा हाथ खुरपीके नीचे चला गया । ऐसा लगा […]

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दुबईकी श्रीमती सीमा गुप्तकी अनुभूतियां


१. आश्रममें मेरे छोटे पुत्रेके पैरमें एक फुंसी हो गई । उसमें उसे अत्यधिक पीडा होने लगी तो मैंने एक सहसाधकके कहे अनुसार उसपर विभूति लगा दी । और आश्चर्य अगले दिवस सवेरेतक वह व्रण (घाव) पूर्णतः ठीक हो गया । २. आश्रममें आकर मेरा आलस्य पूर्णतः समाप्त हो गया ।मुझे आश्रममें एक दिन भी […]

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एक साधिका की अनुभूति


उपासनाके आश्रममें मात्र बीस दिवस सेवा करनेसे वर्षों पुराना खुजलीका रोग समाप्त होना मुझे बचपनसे ही खुजली और फोडे–फुंसियोंकी समस्या थी । अत्यधिक औषधि लेनेपर मेरे हाथके अतिरिक्त मेरे शेष शरीरके कष्ट दूर हो गए । मेरे हाथ मुझे गन्दे लगते थे, उसमें फुंसियां होती थी और उनसे पानी निकलता था, मैंने गोड्डा (झारखण्ड ) […]

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