धर्म

ब्राह्मणोंकी संख्यामें गिरावट हिन्दुओंके लिए चिन्ताका विषय


पिछले वर्ष वृत्त प्रकाशित हुआ था कि गया, काशी, हरिद्वार आदि तीर्थक्षेत्रोंमें पितृपक्षके मध्य श्राद्ध आदि कर्मकाण्डके लिए कुशल पण्डितोंकी संख्यामें भारी गिरावट आई है और इसकी प्रत्यक्ष प्रतीति मैंने भी इन स्थानोंमें जाकर ली है…..

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धर्मविरहित राजनीतिसे समाज आदर्शहीनताकी ओर होता है उन्मुख !


क्या आपको ज्ञात है कि राजा दशरथकी राजसभामें (दरबारमें) ॠषि वसिष्ठ, महर्षि गौतम, महर्षि वामदेव, जाबाल ॠषि, कश्यप ॠषि, दीर्घायु मार्कण्डेयजी, ॠषि सुयज्ञ, महर्षि कात्यायन आदि अनेक ॠषि-मुनि मन्त्री पदपर विराजमान थे ?…

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हिन्दुओं, धर्माभिमान व धर्मरक्षणकी वृत्ति जागृत करें


आज हिन्दुओंमें धर्माभिमानका अत्यधिक ह्रास हुआ है; अतः जब कोई हमारे धर्मस्थल, धर्मगुरु, धर्मग्रन्थपर आघात करनेवाले घटकोंके बारेमें समाजको मुखर होकर बताता है तो वह कट्टर कहलाता है और मुझे तो लगता है कि ऐसा कट्टर होना गर्व और सौभाग्यकी बात है तथा जिन्हें यह धार्मिक असहिष्णुता लगती है…..

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कुमार्गीको दण्डित करना, धर्म एवं न्याय सिद्धान्त अनुसार उचित है


एक जिज्ञासुने ‘धर्मधारा’के एक सुवचनका सन्दर्भ देते हुआ पूछा है कि आपने लिखा है कि परमेश्वरका मन जीतने हेतु सभीसे प्रेम चाहिए तो ऐसेमें जो समाजकण्टक हिन्दू धर्म विरोधी हैं या जो राष्ट्र विरोधी तत्त्व हैं….

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मुसलमानोंके और हिन्दुओंके धर्मप्रेममें भेद


आतंकवादी बुरहान वानीके पिता अपने दो पुत्रोंको जिहादीके रूपमें खोनेमें पश्चात् अपनी पुत्रीको भी जिहादके लिए समर्पित करनेको सिद्ध हैं ! वहीं यदि कोई हिन्दू युवक या युवती धर्मके लिए पूर्ण समय कार्य करने हेतु तत्पर हों तो उनके कुटुम्बके सदस्य उनके समक्ष, सबसे बडा अवरोधक बनकर खडे हो जाते हैं….

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धर्म सिखनेका अधिकार सबका समान है ।


धर्मधारा सत्संगके एक श्रोताने कहा है कि आप अंग्रेजीमें सत्संग क्यों लेती हैं ?, आप सनातन धर्मका प्रसार करती हैं, अतः मात्र हिन्दीमें ही सत्संग लें ! धर्मधारा श्रव्य (ऑडियो) सत्संग विश्वके लगभग २५ देशोंके जिज्ञासु एवं साधक सुनते हैं, इनमें ऐसे अनेक जिज्ञासु या साधक है, जिन्हें हिन्दी ठीकसे नहीं समझमें आती है, उनके […]

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हिन्दू धर्म पाश्चात्यवादसे अति श्रेष्ठ


कहां प्रकृतिका पोषण करनेवाला हिन्दू धर्म और कहां आधुनिक विज्ञानके नामपर प्रकृतिके साथ खिलवाड करनेवाला पाश्चात्यवाद हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो सत्त्व, रज और तमके सिद्धान्तको मानता है । हमारी संस्कृतिने प्रकृतिके साथ कभी खिलवाड नहीं किया । पाश्चात्य देशोंने प्रकृति प्रदत्त सभी खाद्य पदार्थोंतकसे अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु जैविक अभियान्त्रिकी (genetical engineering) नामपर […]

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ऐश्वर्यशाली धर्माचरण करें !


पुण्यके कारण ऐश्वर्य प्राप्त होता है; किन्तु इसे पाकर जो धर्मके पथका आचरण करता है, वही सुखी होता है; अन्यथा यही ऐश्वर्य, धर्मविहीन होनेसे व्यक्तिको कुमार्गपर ले जाता है और व्यक्तिका सर्वनाश करता हैं ।

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आध्यात्म और राष्ट्रधर्ममें अद्वैत है ।


कुछ ‘व्हाट्सएप’ गुट हमें पहले जोडते हैं और उसके पश्चात सूक्ष्म सम्बन्धी बातों या राष्ट्र सम्बन्धी विचारोंको पढकर हमें गुटसे निकाल देते हैं ! ऐसे सभी लोगोंको बता दें कि अध्यात्ममें शाब्दिक ज्ञानका महत्त्व मात्र २% और शब्दातीत अर्थात सूक्ष्म सम्बन्धी शास्त्रका महत्त्व ९८% है और हमारी संस्था धर्म और अध्यात्मके दोनों पक्षोंको सिखाती है […]

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धर्मधारा


प्रजाको प्रसन्न रखना राजाका धर्म होता है; किन्तु प्रजा, समाजद्रोही, धर्मद्रोही और राष्ट्रद्रोही हो तो राजा उसे कैसे प्रसन्न रख सकता है ? वस्तुत: प्रजाको राजा और राजाको प्रजा उसके प्रवृत्ति अनुरूप ही मिलती है ।

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