अध्यात्म एवं साधना

चूक होनेपर कौनसा प्रयाश्चित लें ?


उपासनाके कुछ साधकोंसे जब व्यष्टि या समष्टि स्तरकी बडी चूकें होती हैं और इसकारण उन्हें प्रायश्चित लेने हेतु कहा जाता है तो वे पूछते हैं कि हम कौनसा प्रयाश्चित लें ? तो आज आपको प्रायश्चितके विषयमें बताते हैं । सर्वप्रथम यह जान लेते हैं कि प्रायश्चित क्यों लेना चाहिए ? ईश्वरद्वारा रचित इस विश्वमें कर्मफल […]

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चूक लिखनेकी इच्छा नहीं होती हो या कोई व्यसन हो, तो क्या करें !


एक जिज्ञासुको जब हमने  नित्य चूकें लिखने हेतु बताया तो उन्होंने मुझसे बताया कि मुझमें बडे-बडे दोष हैं और उन्हें दूर करनेमें मैं असफल हो जाता हूं | प्रतिदिन सोचता हूं और प्रतिदिन पुनः अपनी आसक्तियोंके आवेशमें वही चूकें हो जाती है ! ऐसेमें छोटे दुर्गुण जैसे आलस्य, इर्ष्या इत्यादि दूर करनेकी इच्छा नहीं होती […]

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साधकों, अपने घरकी वास्तुकी शुद्धि नियमित करें !


कुछ साधक जब साधना आरम्भ करते हैं तो अपने घरकी वास्तुकी शुद्धि नियमित करते हैं एवं जब वे थोडे समय साधना नियमित करने लगते हैं तो वास्तुकी शुद्धि छोड देते हैं ! साधको, ऐसा न करें ! जैसे हम अपनी स्वच्छता हेतु प्रतिदिन स्नान करते हैं , घरमें झाडू-पोछा करते हैं तो उसीप्रकार वास्तुकी सूक्ष्म […]

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साधकों, इस नवरात्र कोरोनासे सबके रक्षण हेतु दुर्गा तत्त्वके शरण जाएं !


     कलसे हिन्दू नव वर्ष आरम्भ होनेके साथ ही चैत्र नवरात्र आरम्भ हो रहा है; जगत जननी मोक्षदयिनी मां दुर्गा रोगहारिणी भी हैं;  इसलिए सभी लोग कल प्रातः अपने घरको स्वच्छ कर, उसकी वास्तु शुद्धि करें  | स्नान इत्यादि कर , घरको आम्रपल्ल्व यदि उपलब्ध हो तो उससे घरको सजाएं एवं प्रथम धर्मध्वज  अपने […]

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विषयमें आसक्त होकर उनमें लिप्त रहनेमें बडप्पन नहीं है , उसपर निग्रह करनेमें खरा बडप्पन है !


एक साधकने कहा कि आपको तो ज्ञात ही होगा कि मुझमें कितने बडे-बडे दुर्गुण हैं !     साधकों, दोष या दुर्गुण कुछ तो पूर्व जन्मोंके संसकरके कारण होते हैं तो कुछ इस जन्ममें हम अंगीकृत कर लेते हैं ! जैसे किसीके पास बहुत धन और वह भी अधर्मसे आ जाए तो वह मद्यपान करने […]

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साधक विकल्पोंपर मात कर साधना पथपर सतत अग्रसर रहें !


जबतक मन होता है तबतक साधनाके प्रति संकल्प और विकल्प आते ही रहते हैं, खरा साधक वह होता है जो इन विकल्पोंपर मात कर साधना पथपर सतत अग्रसर होता रहें !

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साधनामें एक निष्ठा और तत्त्वनिष्ठा है महत्वपूर्ण


खरे संतोंके पास तो हम नग्न समान होते हैं उन्हें हमारा अगला-पिछला सर्वकर्म ज्ञात होता हैकुछ व्यक्ति अनेक संतोंसे संपर्क ( जिसे अंग्रेजीमें public relation maintain करना कहते हैं ) बनाए रखते हैं और अपनी इस कृतिकी डींगें सर्वत्र हांंकते फिरते हैं ! खरे संतोंके पास तो हम नग्न समान होते हैं उन्हें हमारा अगला-पिछला […]

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अपने वास्तुको बनाए आश्रम समान चैतन्यमय (भाग- १)


साधको, अपने घरको आश्रम समान चैतन्यमय बनानेका प्रयास करें, आनेवाले आपातकालमें तभी आपका वास्तु अस्तित्त्वमें रहेगा और आपका रक्षण भी करेगा, साथ ही साधना हेतु…….

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अपनी सेवा दूसरोंको देते समय असुरक्षाकी भावना न आने दें!


राष्ट्र रक्षण और धर्म प्रसारकी समष्टि साधना करनेवाली संस्थाओंके पास इतनी सेवा है कि जो साधक या कार्यकर्ता इसमें संलग्न होते हैं उनके पास आठ घंटे नियमित सोनेका भी समय नहीं होता है और……

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मंदिरमें प्रेमसे एवं निरपेक्ष भावसे सेवा करने के लाभ !


इन महोदयने भावसे जो सेवा मंदिर स्वच्छताकी की और वहीं बैठकर नामजप भी किया इसकारण हनुमानजीने उनके कष्टको न्यून किया है और वे आश्रममें आकर साधना सीखकर गए हैं…..

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