अध्यात्म

अपने घरको आपातकालमें सुरक्षित रखने हेतु वास्तु शुद्धिके सर्व उपाय करें नियमित !


साधको, इस गुरुपूर्णिमासे अर्थात शीघ्र ही प्राकृतिक आपदाओंका प्रकोप आरम्भ होनेवाला है; अपनी व्यष्टि व समष्टि साधनाके साथ ही अपने वास्तुको सात्त्विक रखनेका प्रयास करें ! इससे आपके घरपर कवच रहेगा एवं आपातकालमें भी रक्षण होगा । हमने आपको समय-समयपर वास्तुपर कवच निर्माण करने हेतु बताया ही है, उसका अच्छेसे पालन करें एवं अपने परिजन […]

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कलियुगमें आध्यात्मिक पथिकोंकी संख्या क्यों होती है अल्प ?


अध्यात्म त्यागका शास्त्र है जो त्याग नहीं कर सकता है, वह अध्यात्मके पथपर अगले अगले चरणोंको कभी भी साध्य नहीं कर सकता है । तन, मन, धन, प्राण, बुद्धि एवं अहं, सब कुछ ईश्वर चरणोंमें अर्पण करनेसे ही हमें ईश्वरकी प्राप्ति होती है । यद्यपि गुरुने यह किया होता है; इसलिए वे हमें इसे सहज […]

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सुखकी वस्तुएं ही दुःखका बनती हैं मूल कारण !


मायाकी जिस वस्तुसे सुख मिलता है, वही दुःखका कारण बनती है । मायाकी जिस वस्तुसे हमें सुख मिलता है, वही हमारे दुःखका कारण बनती है, ऐसा शास्त्र है । जैसे पुत्रका जन्म हो तो सुख मिलता है; किन्तु वह अस्वस्थ हो जाए तो दुःख मिलता है, वह बडा अधिकारी बन जाए तो सुख मिलता है; […]

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उपासनाके आश्रमके निर्माण कार्यके मध्य मिले सीखने योग्य तथ्य (भाग – ९)


आश्रम निर्माणके समय कुछ महत्त्वपूर्ण घटक ध्यानमें रखकर इसे बनानेका प्रयास रहा है । इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है सात्त्विकता । जिन वस्तुओंका चयन अभी उपलब्ध सीमित धनसे किया जा रहा है, उसमें भी यह ध्यानमें रखा जा रहा है कि वह सात्त्विक हो । जैसे अभी हमें कुछ सनमाईकावाली कपाटिका (अलमारी) बनवाई तो यह […]

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इंदौर स्थित मानपुरके उपासनाके आश्रममें कार्यरत श्रमिकोंमें साधकत्वके लक्षण जाग्रत होना (भाग-४)


मानपुरके आश्रममें तीन स्थानीय श्रमिक स्त्रियां अन्नपूर्णा कक्षमें सेवाएं देती हैं । इसमें रेखा सिंगारेकी वृत्ति इतनी सन्तोषी है कि ऐसा मैंने अनेक साधकोंमें भी नहीं पाया है । वह अन्नपूर्णा कक्षके सब उत्तरदायित्वोंको धीरे-धीरे सीख रही है । यद्यपि वह अल्पशिक्षित है और उसके पास अन्नपूर्णा कक्षमें उपयोग हेतु आधुनिक यन्त्र नहीं हैं; तथापि […]

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किसीकी न सुनना और मनानुसार आचरण करना यह है तीव्र अहंका लक्षण


कुछ दिवस पूर्व एक पुरोहित, हमारे एक साधक पुरोहितके साथ आश्रममें आए थे । वे दोनों घनिष्ठ मित्र हैं । मैंने हमारे साधक-पुरोहितसे कहा कि उनमें बहुत अधिक अहं है । मेरा कहनेका अर्थ था कि वे उन्हें पुरोहितके रूपमें आश्रममें न लाएं; किन्तु उन्हें यह बात समझमें नहीं आई और वे उन्हें शिवरात्रिपर लघुरुद्रके […]

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साधककी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता !


साधककी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता है; क्योंकि वह अपने क्रियमाण कर्मसे साधनाकर अपने प्रारब्धकी तीव्रताको न्यूनकर अपने संचितको भस्मकर एक इतिहास रच सकता है । वहीं अहं व दोषके कारण उससे होनेवाली चूकोंसे वह अध्यात्मके ९०% स्तरपर पहुंचकर भी गिर सकता है; अतः कुछ बुद्धिमान ज्योतिषी साधकोंकी भविष्यवाणी करनेसे बचते हैं । यह है […]

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इंदौर स्थित मानपुरके उपासनाके आश्रममें कार्यरत श्रमिकोंमें साधकत्वके लक्षण जाग्रत होना (भाग-३)


पिछले पांच माहसे हमने आश्रममें पूर्णिमाके दिवस सत्यनारायण पूजा, हवन, कन्यापूजन एवं भण्डारेका आयोजन आरम्भ किया है । साथ ही मासिक चतुर्दशी अर्थात मासिक शिवरात्रिके दिवस परशुराम जन्मस्थलीमें जनकेश्वर शिवलिंगपर अष्टाध्यायीद्वारा रुद्राभिषेक भी करना आरम्भ किया है एवं अमावस्याको, आनेवाले आपातकालमें साधकोंके ऊपर महालक्ष्मीकी कृपा रहे; इसलिए श्रीसूक्तके २५६ पाठ एवं उसके दशांशका तर्पण, मार्जन […]

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सूक्ष्मके ज्ञान हेतु मनोलय एवं बुद्धिलय होना है अति आवश्यक


कुछ दिवस पूर्व मैं आश्रमके निर्माण कार्यसे सम्बन्धित कुछ वस्तु क्रय करने इंदौर गई थी । हमें एक ऐसे स्थानपर जाना था जहां मैं चार-पांच बार पहले भी जा चुकी थी । हमने एक कार्यकर्तासे पूछा कि हम अमुक-अमुक स्थानपर इंदौरमें हैं तो क्या बताएंगे कि हम वहां किस मार्गसे जाएं ? तो वे प्रतिक्रिया […]

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उपासनाके आश्रममें शिवरात्रि निमित्त पार्थिव शिवलिंगपर लघुरुद्राभिषेक भावपूर्ण वातावरणमें सम्पन्न


कल दिनांक ११ मार्चको शिवरात्रिके शुभ अवसरपर इंदौर स्थित मानपुर आश्रममें पार्थिव शिवलिंग बनाकर लघुरुद्र पूजा, अभिषेक एवं हवन सम्पन्न हुआ । यह कार्यक्रम स्थानीय पुरोहित श्री ॐ प्रकाश व्यासके पौरोहित्यमें हुआ । नूतन बने यज्ञ मण्डपमें यह अनुष्ठान सम्पन्न हुआ । यह अनुष्ठान रात्रि आठ बजे आरम्भ हुआ एवं रात्रिके ढाई बजे समाप्त हुआ […]

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