अध्यात्म

अग्निहोत्रकी भस्मका उपयोग कैसे करें ? (भाग-३)


अग्निहोत्रकी भस्मका उपयोग सूक्ष्म सप्तचक्र शुद्धि हेतु किया जा सकता है । इससे सप् चक्रोंमें अनिष्ट शक्तियोंद्वारा जो आवरण निर्मित किया जाता है, वह इसके नित्य उपयोगसे दूर हो जाता है । जिन्हें अधिक शारीरिक एवं मानसिक कष्ट हो, वे इस आध्यात्मिक उपचारको करके देखें, इससे आपको बहुत अधिक लाभ मिलेगा । यह उपचार एक […]

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अग्निहोत्रकी भस्मका उपयोग कैसे करें ? (भाग-२)


अग्निहोत्रकी भस्मको स्नान करते समय भी उपयोग किया करें ! इससे आपपर अनिष्ट शक्तियोंद्वारा नित्य निर्मित किया जानेवाला आवरण नष्ट होगा । इस हेतु आप स्नानगृहमें जहां गोमूत्र और खडा लवण (समुद्री नमक) रखते हैं, वहीं अग्निहोत्रकी भस्म भी एक डिब्बेमें भरकरके रख लें ! स्नानसे पूर्व ‘बाल्टी’में एक चौथाई जलमें एक-एक चम्मच गोमूत्र और […]

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अग्निहोत्रकी भस्मका उपयोग कैसे करें ? (भाग-१)


उपासनाके कुछ साधकोंने नियमित अग्निहोत्र करना आरम्भ किया है । अग्निहोत्रके पश्चात जो भस्म या विभूति बनती है, उसका सदुपयोग कैसे कर सकते हैं ? उसके विषयमें यह लेखमाला है । अग्निहोत्र समाप्त होनेके दो घण्टे पश्चात उसके भस्मको एक डिब्बेमें बन्दकर पूजाघर या किसी स्वच्छ स्थानपर रख दें । रात्रिमें अग्निहोत्रके भस्मको खुला बाहर […]

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ईश्वर भक्तका सदैव रखते हैं ध्यान !


मुझे तीन वर्ष तीव्र स्तरका ‘साइनस’ था; किन्तु ईश्वरकी कृपासे कभी सिरमें वेदना नहीं हुई । कुछ चिकित्सकोंको आश्चर्य भी होता था । मेरी मुख्य सेवाएं बौद्धिक होती हैं, विशेषकर लेखनकार्यमें मनकी एकाग्रता चाहिए होती है । सिरमें वेदनाके पश्चात मुझसे बौद्धिक कार्य नहीं होता है । पितृपक्षमें अनिष्ट शक्तियोंके कष्टके कारण मुझे दो बार […]

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अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-६)


प्रश्न : क्या कार्यालयसे आनेके पश्चात बिना स्नान किए अग्निहोत्र किया जा सकता है ? उत्तर : यदि आप सम्पूर्ण दिवस शौच नहीं जाते हैं एवं आपका कार्य मात्र लेखन इत्यादिका हो तब तो आप बिना स्नान किए हाथ-पांव धोकर अग्निहोत्र कर सकते हैं । किन्तु यदि आप किसी चर्म (चमडेका), मांसाहार या चिकित्सासे सम्बन्धित […]

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सीखनेकी अपेक्षा सिखानेकी वृत्ति अधिक होना है अहंका लक्षण


जिनमें अधिक अहं होता है, उन्हें यह लगता है कि उन्हें बहुत ज्ञान है या सब पता है; इस कारण उनमें सीखनेकी वृत्ति अत्यल्प होती है एवं सिखानेकी वृत्ति अधिक होती है । यही कारण है कि आज समाजमें तथाकथित अर्द्धज्ञानी गुरु अधिक होते हैं एवं शिष्य या साधक प्रवृत्तिके लोग कम दिखाई देते हैं […]

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अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-५)


प्रश्न : अग्निहोत्रके पात्रको कब स्वच्छ करना चाहिए ? क्या उसे प्रातः और सन्ध्या समय अर्थात दोनों समय धोना चाहिए ? उत्तर : यदि अग्निहोत्र पात्र ताम्बेका हो तो उसे प्रतिदिन प्रातःकाल अवश्य ही स्वच्छ करना चाहिए । सन्ध्या समय उसे स्वच्छ करनेकी आवश्यकता नहीं है । अनेक बार अग्निहोत्र करने हेतु भूमिमें मिट्टीके हवन […]

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अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-४)


क्या स्त्रियां अग्निहोत्र कर सकती हैं ? हां ! स्त्रियां भी अग्निहोत्र कर सकती हैं । मात्र रजोधर्मके समय पांच दिवस इसे नहीं करना चाहिए । जन्म पातकके समय भी जबतक जच्चा, रजस्वलामें हो तबतक इसे नहीं करना चाहिए, चाहे ग्यारह दिवसका पातक (सूतक) समाप्त ही क्यों न हो गया हो ! एक और बातका […]

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अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-३)


प्रश्न : यदि मैं सन्ध्याको अग्निहोत्र हवन करता हूं और किसी दिन सन्ध्याको न कर सकूं तो क्या उस दिनका हवन अगले दिवस प्रातःकालमें कर सकता हूं ? उत्तर : नहीं ! इस यज्ञमें प्रत्येक दिवसकी आहुति उसी दिवस दी जाती है । यदि किसी दिन अपरिहार्य कारणोंसे नहीं कर पाए तो सूक्ष्मसे उसी समय […]

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अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-२)


मैं सन्ध्या समय अपने कार्यालयसे देरीसे आता हूं अर्थात मुझे घर आते-आते रात हो जाती है, ऐसेमें क्या मैं एक समयका अग्निहोत्र कर सकता हूं ? अग्निहोत्रमें सूर्योदयके समय सूर्यका आवाहन होता है एवं सूर्यास्तमें समय उसका निस्तारण । एक समयके अग्निहोत्रका अर्थ हुआ कि आपने अपनी उपासनाको पूर्ण नहीं किया । किसी भी कर्मकाण्डमें […]

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