हमारे विवाहको चौदह वर्ष हो चुके हैं; किन्तु हम निःसन्तान हैं । हमने अनेक प्रयास किए; किन्तु हमें यश नहीं मिला है । हमारे कुछ शुभचिन्तकोंका कहना है कि हमें किसी अनाथाश्रमसे किसी बच्चेको गोद ले लेना चाहिए ?
इस सम्बन्धमें क्या आप कुछ बताना चाहेंगी ?
बहुत प्रयास करनेपर भी है सन्तान प्राप्ति न होना यह बताता है कि यह एक आध्यात्मिक कष्ट है । यदि आपके प्रारब्धमें सन्तान योग नहीं है तब तो आप यदि किसी बच्चेको गोद लेते हैं तो आप एक नूतन जीवसे अपना लेन-देन निर्माण कर रहे हैं । यदि आप साधक हैं तो ईश्वर प्रदत्त इस […]
दो दिवस पूर्वके एक लेखके सन्दर्भमें एक ज्योतिषीने पूछा है कि आपने जो लिखा वह सत्य है । मैं पहले अपने दुःखोंके निराकरण हेतु ज्योतिषियोंके पास जाता था एवं उनके बताए हुए कुछ उपाय करनेपर मेरे कष्ट न्यून हए और मैं इसी कारण इस शास्त्रकी ओर आकृष्ट हुआ और आज यह मेरे जीविकोपार्जनका माध्यम है । आपके लेखको पढकर मैं अपनी स्थितिको आपके कथन अनुरूप ही पा रहा हूं; किन्तु मैं अब यह व्यवसाय नहीं छोड सकता हूं, कृपया बताएं मैं क्या कर सकता हूं ?
एक सरलसा शास्त्र जान लें ! जब भी आप किसीको भी किसी भी समस्याका समाधान बताते हैं तो आपपर अनिष्ट शक्तियोंके कष्ट होनेकी आशंका अवश्य हो सकती है । यदि आपका आध्यात्मिक स्तर ६०% से अधिक न हो; क्योंकि आजके कालमें लोगोंकी अधिकांश समस्याएं चाहे वे शारीरिक हों, मानसिक हों, आर्थिक हों या कौटुम्बिक हों, […]
एक व्यक्तिने पूछा है कि मेरे एक सम्बन्धीको सूक्ष्म समझमें आता है; किन्तु उनसे बात करनेसे ही ऐसा लगता है कि उनमें अहं बहुत अधिक है और उन्हें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट भी है और वे अधिक साधना भी नहीं करते हैं तो भी वे सूक्ष्म सम्बन्धी जो बातें बताते हैं, वह सच होती है, ऐसा कैसे होता है ?
सूक्ष्मके विषयमें जाननेकी दो पद्धतियां हैं, एक तो आप योग्य साधना करते जाएं, जैसे-जैसे आपका मन एवं बुद्धि, विश्वमन और विश्वबुद्धि अर्थात ईश्वरसे एकरूप होता जाएगा, आपका सूक्ष्म ज्ञान बढता जाएगा एवं परिष्कृत होता जाएगा; किन्तु उसकी पुष्टि आपको किसी सन्तसे तबतक कराना चाहिए जबतक वे न कह दें कि अब आपको पूछनेकी आवश्यकता नहीं […]
एक साधकने पूछा है कि पवित्र रहनेसे आध्यात्मिक प्रगति कैसे होगी ?
कलियुगमें सामान्य साधकोंका प्रवास तमसे रज एवं रजसे सत्त्व गुणकी ओर होता है । पवित्र रहनेसे हमारी सात्त्विकता शीघ्र बढती है, मन शान्त रहनेसे साधना अच्छेसे होती है, बुद्धि सात्त्विक होनेसे विवेकमें परिवर्तित हो जाती है, इससे उचित अनुचितका भेद करना सरल हो जाता है । ध्यान रहे ! हिन्दू धर्म मात्र एक जीवनशैली […]
क्या हम अपने पूजा घरमें दत्तात्रेय देवताका चित्र रख सकते हैं ? - नीरज मिश्र
जी दत्तात्रेय देवताका चित्र आप अपने पूजा घरमें रख सकते हैं । आज यद्यपि सभीके घरोंमें अतृप्त पूर्वजोंके कारण कष्ट है; इसलिए इस चित्रको पूजा घरमें रखकर उनकी पूजा करनेसे उनकी कृपा हमें मिलती है और साथ ही जैसा कि आपको बताया था कि वर्तमान कालमें सभीने एकसे दो घण्टे ‘श्रीगुरुदेव दत्त’का जप करना ही […]
क्या असुर, सन्तोंको या अच्छे आध्यात्मिक स्तरके साधकोंको भी आवेषित कर सकते हैं अर्थात उन्हें अपने नियन्त्रणमें ले सकते हैं ? क्या ऐसा होनेपर वे मद्यपान (शराब पीना) परस्त्री गमन, धनके प्रति आकर्षण या अपने पुत्र जो अधिकारी न हो, उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं ? मैं विदेशमें रहती हूं एवं यहां कुछ गुरुओंके आश्रममें ऐसा हो रहा है, यह देखकर मेरे मनमें ऐसे प्रश्न आपके लेखोंको पढनेके पश्चात आपसे पूछनेकी इच्छा हुई ! - एक साधक, मॉरीशस
हमारे श्रीगुरुने एक बार बताया था कि अध्यात्ममें कोई कभी भी गिर सकता है अर्थात वह यदि ९०% पर आध्यात्मिक स्तरपर पहुंच जाए तो भी अपने दोषों एवं अहंके कारण गिर सकता है ……
यू ट्यूबमें वैदिक उपासना पीठके चैनलपर (www.youtube.com/channel/UCJo24kpOckCT51P_2wEjE8Q) दर्शकने प्रश्न पूछा है जो इस प्रकार है – रजोधर्मके समय लडकियोंकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? वे क्या नामजप व ध्यान कर सकती हैं ? – साधना कुमारी आपका प्रश्न बहुत अच्छा है, इसका ज्ञान आजकी युवतियोंको नहीं है; क्योंकि पुत्रियोंको धर्मकी शिक्षा देनेवाली आजकी माताओंको भी […]
एक व्यक्तिने पूछा है कि आप अपने लेखोंमें अनिष्ट शक्तियोंके विषयमें लिखती रहती हैं, क्या आप तान्त्रिक हैं ?
यदि आप योग्य प्रकारसे साधना करते हैं, तो इष्ट और अनिष्टकी जानकारी साथ-साथ होती है, गुरु या ईश्वर उसकी जानकारी आपको साथ-साथ ही देते हैं । धर्मशिक्षण अन्तर्गत यदि मैं इष्ट ……
मैं पिछले एक माहसे एक दोषको न्यून हेतु स्वयंसूचना दे रहा हूं; किन्तु उसकी तीव्रता न्यून नहीं हो रही है ऐसेमें मुझे क्या करना चाहिए एवं मेरे दोष न्यून क्यों नहीं हो रहे हैं ? - यशपाल शर्मा, देहली
स्वयंसूचना देनेकी पद्धति भी योग्य होनी चाहिए अर्थात स्वयंसूचना देते समय मनका शान्त व स्थिर होना आवश्यक होता है । इस हेतु एक शान्त स्थानमें सुखासनमें बैठकर कुछ क्षण नामजप करके मनको एकाग्र करना चाहिए, उसके पश्चात एक स्वयंसूचनाको …..
हम आपके संस्थाद्वारा प्रसारित श्रव्य बालसंस्कारवर्गके नियमित श्रोता है ! यह हमारे बच्चोंके अतिरिक्त हमें भी बहुत अच्छा एवं ज्ञानवर्धक लगता है ! मैं यह पूछना चाहती हूं कि जैसा कि बालसंस्कारके वर्गमें बताया गया है कि बच्चोंने भी नियमित १५ मिनिटका दत्तात्रेय देवताका जप करना चाहिए तो मैं यह जानना चाहती हूं कि बच्चोंने श्री गुरुदेव दत्तका जप करते समय ॐ लगाना चाहिए या नहीं ? – एक शुभचिंतक श्रोता
बच्चोंने दो स्थितिमें श्री गुरुदेव दत्तके जपमें ॐ लगा सकते हैं ! एक यदि उन्हें अनिष्ट शक्तियोंका तीव्र कष्ट हो तो वे ‘श्री गुरुदेव दत्त’के जपमें ॐ लगाकर जाप कर सकते हैं | बच्चोंको तीव्र कष्टके कुछ उदाहरण इसप्रकार हैं …..