पितृ दोष

शास्त्रानुसार विधिसे ही पितर तृप्त होते हैं


पितृपक्षमें या वार्षिक श्राद्धमें अथवा किसीकी मृत्यु हो जानेपर कुछ व्यक्ति समाचार पत्रमें श्रद्धाञ्जलिके रूपमें पितरोंके छायाचित्र (फोटो) छपवा देते हैं और सोचते हैं कि ऐसा करनेसे उनके पितरोंको गति मिल जाएगी ! कुछ लोग श्राद्ध या ब्राह्मण भोजनके स्थानपर निर्धनोंको या दरिद्रको खिला देते हैं, तो ध्यानमें रखें शास्त्र अनुसार जो विधि बताई गई […]

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नास्तिकों एवं अहिन्दुओंका भी श्राद्ध अनिवार्य !


एक आनंदकी बात बताती हूं, मेरे लेखोंको पढने या ‘यूट्यूब’के वीडियोको देखनेके पश्चात कुछ समयसे कुछ अहिन्दू भी हमें पितृदोष निवारण हेतु सम्पर्क करने लगे हैं ! अर्थात अहिन्दुओंको यह समझमें आने लगा है कि वैदिक सनातन धर्मके सिद्धान्त सभी जीवात्माओंपर एक समान लागू होते हैं ! अर्थात आप पुनर्जन्म, वैदिक रीतिसे श्राद्ध या मृत्योपरान्तकी […]

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सनातन धर्ममें मृत्यु उपरांत पितृकर्मको इतना महत्त्व क्यों दिया गया है ?


एक प्रवचनके मध्य जोधपुरमें अनेक जैन संप्रदायके साधकोंसे परिचय हुआ, वे सब तीन दिवसीय प्रवचनमें आए थे, सभीको तीव्र स्तरके पितृ दोषके कारण विचित्र प्रकारके कष्ट थे, इससे समझमें आता है कि सनातन धर्ममें मृत्यु उपरांत पितृकर्मको इतना महत्त्व क्यों दिया गया है ! और जिन संप्रदायोंने सनातन धर्मके इस अंगको स्वीकार नहीं किया है […]

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अन्य पन्थोंके लोगोंके घरमें तीव्र पितृ दोष


जिन पन्थोंके संस्थापकोंने मृत्योपरान्त अन्त्येष्टि एवं पितृ-कर्मकी विधि वैदिक सनातन धर्म अनुसार करनेकी आज्ञा नहीं दी, आज उन सभी पन्थोंके सदस्योंके घरमें तीव्र पितृदोष एवं अनिष्ट शक्तिके कष्ट देखनेको मिल रहे हैं और वे स्वतः ही अपने कष्टोंके निवारण हेतु सनातन धर्म अनुसार प्रयत्न करने लगे हैं । यह एक प्रकारका ईश्वरीय नियोजन है, जिससे […]

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समाचारपत्रमें मृत व्यक्तिको श्रद्धाञ्जलि अर्पणसे कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं मिलता !


अनेक धनवानोंको लगता है कि अपने मृत पूर्वजके चित्र समाचार पत्रमें छपवा देनेसे वे पितृ ऋणसे ऊऋण हो जाएंगे ! मृत्योपरान्तकी यात्रामें जीवात्माको गति देना इतना सरल होता तो हमारे ऋषि मुनि श्राद्ध एवं तत्सम धार्मिक कृति जैसी कठिन आध्यात्मिक प्रक्रिया क्यों बताते ? समाचार पत्रमें श्रद्धाञ्जलि ज्ञापन करनेसे आपके मनको समाधान मिलता है, पितरोंको […]

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हिन्दू धर्ममें श्राद्धका विधान


मृत व्यक्तिकी जीवात्मा किसी विषयसे आसक्त हो अटक न जाए, इस लिए हिन्दू धर्मंमें श्राद्धका विधान बताया गया है | श्राद्धके विधानसे मृत व्यक्तिकी जीवात्मा यदि कसी कारणवश किसी विषय-वासनामें अटक गई हो तो श्राद्धसे उत्पन्न शक्ति उस जीवात्माको मृत्योपरांतकी यात्रामें शक्ति प्रदान करता है | – (पू.) तनुजा ठाकुर (संस्थापिका, वैदिक उपासना पीठ)

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आप पितृ दोष निवारणको इतना महत्व क्यों देती हैं ?

प्रश्न : आप पितृ दोष निवारणको इतना महत्व क्यों देती हैं अन्य कोई अध्यात्मविद तो ऐसा नहीं करते ?


उत्तर : इसके कुछ कारण है जो निम्नलिखित हैं – १. पिछले एक सहस्र वर्षसे हम हिंदुओंने योग्य धर्माचरण छोड़ दिया है अतः हमारे घरके अनेक पूर्वज जो योग्य प्रकारसे साधना नहीं करते थे उन्हें गति नहीं मिली है और हम भी अतृप्त पितरोंके लिए जितने सतर्क होकर पितृ कर्म करने चाहिए वह नहीं करते […]

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हमारे पितरोंको गति क्यों नहीं मिलती ?


पूर्व काल समान हम कलिकालमें साधनाको प्रधानता नहीं देते अतः हमारी विषय – वासनाके संस्कार अति तीव्र होते हैं और मृत्यु उपरांत भी यह संस्कार लिंगदेहमें विराजमान रहते हैं, ऐसे लिंगदेहमें जडत्व होनेके कारण …..

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अतृप्त पूर्वजोंके कारण अनेक प्रकारके कष्ट हो सकते हैं


अतृप्त पूर्वजोंके कारण अनेक प्रकारके कष्ट देखे गए हैं जैसे विवाह न होना, निःसंतान होना, गर्भपात हो जाना, पति-पत्नीमें अनबन रहना, संबंध विच्छेद (तलाक) हो जाना, घरके सदस्योंका व्यसनी होना, घरके मुखिया या बडे संतानका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूपसे सदैव कष्टमें रहना, कुलमें किसी व्याधिका वंशानुगत हो जाना, अर्थोपार्जनमें सदैव अडचनें आना इत्यादि| पितृदोष […]

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अध्यात्म शास्त्र संपूर्ण प्राणी मात्रके लिए समान होता है |

प्रश्न: कुछ पंथ एवं संप्रदायके लोग पितरोंके लिए कुछ भी नहीं करते और उन्हें पितृदोष संबन्धित इतनी समस्याएं नहीं होती ऐसा क्यों ?


कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि कुछ पंथके लोग मृत्यु उपरांतकी यात्रा को नहीं मानते या पुनर्जन्म को नहीं मानते अतः पितरों के लिए वे कुछ भी नहीं करते और उन्हें कष्ट भी नहीं होता है ऐसा क्यों ? सर्वप्रथम तो यह जान लें की अध्यात्म शास्त्र संपूर्ण प्राणी मात्रके लिए समान होता है | […]

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